मीनापुर : महदेईया गांव के आधा दर्जन नाई परिवारों के घर गुरुवार की सुबह खुशी की धूप पसरी हुई थी. जानलेवा भूकंप से सही-सलामत लौटे अपनों को देख परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं था. तीन-चार दिनों से आशंकाओं से घिरे इन परिजनों को काफी सुकून मिला.
बुधवार की देर रात महदेईया गांव के फूलदेव ठाकुर, प्रमोद ठाकुर, उपेन्द्र ठाकुर, जितेन्द्र ठाकुर व रामबाबू ठाकुर उत्तर प्रदेश सरकार की बस से वतन लौटे. ये सभी लोग काठमांडू के महाराजगंज चक्रपथ पर रहते हैं.वहां पर नाई का काम करते हैं. परिजनों के बीच ये खुश नजर आ रहे थे. लेकिन इन लोगों के चेहरे पर खौफ के वे मंजर चस्पा थे. पूछने पर वे सभी सिहर उठते हैं. लाशों के ढ़ेर, कराहते लोग, मकानों के मलबे का दृश्य आज भी उनकी आंखों में कौंध रहा है.
फूलदेव, प्रमोद आदि ने बताया कि 25 अप्रैल को भूकंप का पहला झटका आने पर सैलून छोड़ कर बाहर भागे. उधर सब कुछ बर्बाद हो गया. हर तरफ कोहराम मचा था. इधर-उधर लाशें पड़ी थीं. जख्मी होकर लोग कराह रहे थे.हम सब भागते हुए भूकम्प पीड़ितों के शिविर में पहुंचे. ठिकाना बना. वहां चाउमिन और चूड़ा मिला. लेकिन पानी के लिए त्रहिमाम मचा था. एक बोतल पानी के लिए 40 रुपये देने पड़े. यूं कहें कि सारे पैसे पानी खरीदने में ही खर्च हो गए. घर लौटने के लिए मशक्कत करनी पड़ी.
कोई साधन नहीं मिल रहा था. निजी वाहन वाले पांच हजार रुपये मांग रहे थे. अंतत: यूपी सरकार की बस में जगह मिली. रास्ते में भोजन भी मिला. तब चैन आया. बस से उतरने के बाद रेलवे की टिकट भी दी गई. इधर हादसे के बाद महदेईया गांव में परिजन परेशान थे. तरह-तरह की आशंका उन्हें खाए जा रही थी. लेकिन देर आए दुरुस्त आए. घर पहुंचने पर परिजनों की खुशी का ठिकाना न रहा.
कैश का परिवार पहुंचा कुढ़नी
कुढ़नी : नेपाल में आये विनाशकारी भूकंप से बच कर कुढ़नी का एक परिवार अपने घर पहुंच गया. परिवार के सदस्यों पर भूकंप का खौफ स्पष्ट रुप से दिख रहा था. कुढ़नी पंचायत के वार्ड 10 में स्थित मो कैश आलम अपनी मां जरीना बेगम व बहन सोनी खातून के साथ कांठमांडू के चाबेल में तीन दशक से रह रहा था. वहां पर कैश आलम की इलेक्ट्रिक वर्कशॉप की दुकान थी. विनाशकारी भूकंप ने घर व दुकान दोनों को उजाड़ दिया. तीन दिन भूखे प्यासे रह कर समय काटा. अचानक आये भूकंप ने पूरे परिवार पर मुसीबत का पहाड़ तोड़ दिया.
भूकंप की क्षण को याद करके पूरा परिवार सिहर उठता हैं. मो कैश आलम ने बताया कि शनिवार की दोपहर वह बाजार से कुछ सामान खरीदने के लिए निकला था. बहन दुकान पर थी. मां घर पर थी. इसी बीच अचानक भूकंप आ गया. चारों तरफ खड़ी इमारत डोलने लगी. जमीन में कंपन होने लगा. लोग सड़कों पर गिर रहे थे. जैसे-तैसे मो कैश अपनी दुकान पहुंचा. इसी बीच पास का एक बड़ा मकान तेज गति से कंपन के साथ गिर गया. चारों तरफ चीख-पुकार मच गई. मलवे में दर्जनो लोग दब गये. चारों तरफ भगदड़ मच गई. भूकंप के कारण उसका दुकान गिर कर तबाह हो गया. पांच लाख का नुकसान हो गया.सभी लोग खुले मैदान की तरफ भागे. बड़ी-बड़ी इमारत ढही जा रही थी. चारों तरफ चीख-पुकार मची थी. भगदड़ में कैश आलम की बहन सड़क पर गिर गयी. बहन व मां को काफी चोटें आयी. तीन दिन तक जैसे-तैसे समय काटा. जब स्थिति सामान्य हुई तो खाना की समस्या उत्पन्न हो गयी.
पानी की बोतल 50 से 60 तथा चूड़ा 400 रुपये किलो मिल रहा था. तीन दिन भूखे प्यासे रह कर समय काटा. थोड़े पैसे से सामान खरीद कर खाया. तीन दिन के बाद मदद करने वाले लोग एक बोतल पानी व एक बिस्कुट का पैकेट दिये. फिर मालूम चला कि भारत सरकार ने घर जाने के लिए बस सेवा चलायी है. पशुपतिनाथ पहुंचे, वहां एम्बेसी को भारतीय होने का प्रूफ दिखाये. तब जाकर घंटो खड़ा रहने के बाद बस में जगह मिली. बस से गोरखपुर पहुंचे. हम लोगों के पास पैसा कम था. गोरखपुर जंक्शन से एक आदमी का टिकट कटा कर अवध असम एक्सप्रेस से मुजफ्फरपुर आये. छपरा में टीटीइ ने एक टिकट पर यात्र करने पर फाइन करना चाहा लेकिन आपबीती बताई तो छोड़ दिया. मो कैश ने बताया कि नेपाल के नाम से मन विचलित हो जाता है. भूकंप में मदद के लिए मोदी सरकार को धन्यवाद दिया. पूरे परिवार को घर व्यापार तबाह होने का चिंता सता रहा था.
पहली बार देखी भूकंप की तबाही
सरैया : दो दिन पूर्व काठमांडू से चला मुकेश गुरुवार की सुबह घर पहुंचा. परिजनों ने राहत की सांस ली. खौफजदा मुकेश भी परिजनों को देख खुश हो गया. आंखों देखी बताते हुए मुकेश के रोंगटे खड़े हो गए. उसे चेहरे पर दहशत की लकीरें खिंची थी. थाना क्षेत्र के रघवा छपरा निवासी वीरेन्द्र राय का 18 वर्षीय पुत्र मुकेश काठमांडू में टायर रीसोल कंपनी में मजदूरी करता था. ए वन टायर रीसोल कंम्पनी शहर के बीच बाल कुमारी में है. मुकेश ने बताया कि उस वक्त वह दुकान के बाहर टायर की कटिंग कर रहा था. अचानक धरती कांपने लगी. लोग भागने लगे. वह भी खुले में भागा. जान बच गयी लेकिन जब पीछे देखा तो हर तरफ बर्बादी पसरी हुई थी. इससे पहले कभी इतनी तबाही नहीं देखी थी. इधर-उधर पड़े शव, चित्कार करते जख्मी परिजन यह देख कलेजा कांप गया.
मुकेश ने बताया कि सुना था कि भूकंप होने पर धरती डोलती है लेकिन इतनी भयानक तबाही होती है पहली बार देखा. घंटों भय के बीच गुजर गए. गला सूख रहा था लेकिन पानी नहीं मिला. देर रात एक जगह पीने को पपनी मिला. लेकिन दो दिनों तक अन्न के दर्शन नहीं हुए. अन्य साथियों के साथ घर के निकला. पन्द्रह हजार में स्र्कापियो भाड़ा किया. दस लोगों के साथ आठ घंटे की यात्रा के बाद वीरगंज पहुंचा. वहां से रक्सौल आया फिर ट्रेन पकड़ घर पहुंचा.