मुजफ्फरपुर: अरे बाबू टेबुल क्यों हिला रहे हो. ठीक से खड़ा रहो. लेकिन जब टेबुल फिर हिला तो उपाधीक्षक डॉ एनके चौधरी ने देखा कि मरीज टेबुल दूर खड़ा है. तब उन्हें समझ में आ गया कि भूकंप आया है. इसके बाद वे तुरंत चैंबर छोड़ भागे. तबतक सामने ओपीडी में इलाज कर रहे डॉक्टर व मरीज भी ओपीडी निकल कर बाहर खुले मैदान में आ गये.
वार्ड में भरती कई मरीज भी बाहर मैदान में आ गये. करीब आधा घंटा तक डॉक्टर व मरीज बाहर ही खड़े रहे. इस बीच ओपीडी बंद रहा. ओपीडी में न डॉक्टर देखने को तैयार थे, न मरीज दिखाने के लिए जाना चाहते थे.
आधा घंटा बाद डॉक्टरों ने मरीजों को कहा, चलिये सब लोग, अब हो गया. इसके बाद सभी ओपीडी में गये. लेकिन शंका बनी हुई थी. डॉक्टरों का मरीज से अधिक ध्यान भूकंप पर था. मरीज भी भागने की जल्दी में थे. 12.30 के बाद कोई भी मरीज ओपीडी में दिखाने नहीं पहुंचा.
भूकंप के बाद लौटे आधे मरीज
सुबह 11 बजे अस्पताल में करीब 150 मरीजों की भीड़ थी. लोग पंक्तिबद्ध होकर अपना इलाज करा रहे थे. इसी बीच भूकंप होने के कारण सभी लोग बाहर निकल गये. भूकंप समाप्त होने के तक आधा मरीज बिना दिखाए लौट चुके थे. इस दौरान जिन लोगों ने पुरजा कटाया था, वे भी बिना दिखाये वापस हो गये. घर परिवार छोड़ कर आये मरीजों को अपनी बीमारी से ज्यादा चिंता अपने परिजनों की थी. एक घंटा के अंदर ही अस्पताल खाली हो गया था.