घर में काम कर रही थी. अचानक पलंग, फ्रिज, गुलदस्ता हिलने लगा. खिड़की में लगे शीशे टूट गये. इसी बीच बाहर से भूकंप-भूकंप की आवाज सुनायी दी. जान बचाकर बाहर निकली. बाहर देखा सभी लोग बेतहाशा भागे जा रहे थे. मैं भी उन लोगों के साथ हो ली. शाम होने को है, पर हिम्मत नहीं हो रही की वापस घर जाऊं. – सोनम, मिश्रा टोला (गन्नीपुर)कीचेन में काम कर रही थी. अचानक वाड्रो (रैक) हिलने लगा. दौड़ कर बाहर आयी तो पलंग भी हिल रहा था. उस पर बैठा दो साल का मेरा बेटा रो रहा था. आनन-फानन में उसे गोद में लेकर बाहर आयी तो आस-पास के सभी लोग बाहर ही दिखायी दिये. लोगों के साथ घर में ताला जड़ कर मैं भी यहां (एलएस कॉलेज मैदान) चल आयी. – प्रियंका सिंह, नया टोलाघर के काम में व्यस्त थी. अचानक आलमीरा अपनी जगह से खिसक गया. सहसा विश्वास नहीं हुआ. लगा कोई सपना देख रही हूं. तभी घर के अन्य सदस्यों ने आवाज लगायी, भूकंप आया, बाहर निकलो. जैसे-तैसे घर से बाहर आयी. घर के दरवाजे में ताला जड़ा व सीधे यहां (एलएस कॉलेज मैदान) आ गयी. अभी और भूकंप के झटके आने की आशंका व्यक्त की जा रही है. ऐसे में खुद अपने घर में जाने में भय लग रहा है. – पूजा गौतम, नया टोलाअपने काम में व्यस्त थी. अचानक पति ने आवाज लगायी, भागो भूकंप आया. शुरुआत में समझ नहीं आया. पर जैसे ही पांव तले जमीन हिलनी शुरू हुई तो अहसास हुआ. पति के साथ घर से बाहर निकली. करीब एक मिनट तक जमीन हिलता रहा. थोड़ी देर रुक कर जब दुबारा भूकंप का झटका महसूस हुआ तो भय बढ़ गया और सीधे यहां आ गयी. घर के कई सदस्य बाहर हैं. उन्हें फोन ट्राइ कर रही हूं, पर फोन पकड़ ही नहीं रहा. – सुधा प्रसाद, दामुचौक
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भूकंप बातचीत : एलएस कॉलेज :: दीपक फोल्डर
घर में काम कर रही थी. अचानक पलंग, फ्रिज, गुलदस्ता हिलने लगा. खिड़की में लगे शीशे टूट गये. इसी बीच बाहर से भूकंप-भूकंप की आवाज सुनायी दी. जान बचाकर बाहर निकली. बाहर देखा सभी लोग बेतहाशा भागे जा रहे थे. मैं भी उन लोगों के साथ हो ली. शाम होने को है, पर हिम्मत नहीं […]
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