मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में विवि प्रशासन व सीसीडीसी डॉ विनोद प्रसाद सिंह के बीच जीच जारी है. श्री सिंह ने विवि प्रशासन की ओर से खुद पर लगाये गये आरोप को बेबुनियाद व निराधार बताया है. इस संबंध में उन्होंने रविवार को राजभवन व विवि प्रशासन को पत्र लिख कर उन पर लगे आरोपों से संबंधित संचिका उपलब्ध कराने की बात कही है.
श्री सिंह ने लिखा है कि विवि प्रशासन ने राजभवन के पत्र के आलोक में 20 अगस्त को पत्र के माध्यम से उनसे छह बिंदुओं पर जवाब मांगा है. राजभवन से विवि को मिले पत्र की प्रति उन्हें भी मिली है. उसमें साफ लिखा है कि विवि प्रशासन उन पर लगाये गये आरोप व उससे संबंधित डॉक्यूमेंट उन्हें
उपलब्ध करायेगी.
साथ ही विवि उन पर लगे आरोप का जवाब देने के लिए उन्हें पर्याप्त समय भी देगी. पर कुलसचिव डॉ विवेकानंद शुक्ला ने जिन छह बिंदुओं पर उनसे जवाब मांगे हैं, उससे संबंधित कोई भी डॉक्यूमेंट उन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया. यही नहीं जिस दिन राजभवन से यह पत्र आया, उससे दो दिन पूर्व वे ऑन ड्यूटी बेहोश हो गये थे, जिसके बाद वे छुट्टी पर चले गये. उन्हें हर्ट की बीमारी है, इस कारण डॉक्टर ने उन्हें आराम की सलाह दी है. इसके बावजूद विवि प्रशासन ने उन्हें 20 अगस्त को पत्र लिख कर 24 अगस्त तक जवाब देने को कहा. बाद में इसे बढ़ा कर 29 अगस्त कर दिया गया. उन्होंने बताया कि वे 01 सितंबर तक छुट्टी में हैं व डॉक्टर की सलाह के बाद 02 अगस्त को दुबारा ड्यूटी ज्वाइन करने वाले हैं. ऐसे में विवि प्रशासन उन्हें जवाब के लिए कम-से-कम पांच सितंबर तक का समय दे. वे कार्यालय में रखी संचिका के आधार पर उन्हें जवाब उपलब्ध करा देंगे.
दे चुके हैं जवाब
इससे पूर्व सीसीडीसी डॉ विनोद प्रसाद सिंह ने 29 अगस्त को ही कुलसचिव डॉ विवेकानंद शुक्ला को लिखे अपने पत्र में खुद पर लगे दो आरोपों का जवाब दे दिया था. इसमें से एक फिश एंड फिशरीज के रेगुलेशन से व दूसरा कॉलेजों व पीजी विभाग के नैक मूल्यांकन के संबंध में था. विवि प्रशासन ने श्री सिंह पर आरोप लगाया था कि इन दोनों के लिए उन्होंने कोई पहल नहीं की.
अपने पत्र में श्री सिंह ने कहा कि वर्ष 2006 से 2009 तक फिश एंड फिशरीज वोकेशन कोर्स के अंतर्गत आता था, जिसके संचालन की जिम्मेदारी सीसीडीसी की होती थी. पर बाद में तत्कालीन कुलपति डॉ विमल कुमार ने इसे वोकेशनल कोर्स से हटा कर रेगुलर कोर्स घोषित कर दिया. साथ ही इसके संचालन की जिम्मेदारी जंतुविज्ञान के विभागाध्यक्ष से हटा कर दूसरे अध्यापक को दे दी थी. यही नहीं इसके लिए अलग एडवाइजरी कमेटी का गठन भी किया गया, जिसके मेंबर सचिव कुलसचिव को बनाया गया. ऐसे में इसका रेगुलेशन पास नहीं होने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर कुलसचिव की है. इसी तरह नैक मूल्यांकन के लिए यूजीसी सीधे कॉलेज के प्राचार्यों से संपर्क करती है व विवि में इसकी देख-रेख की जिम्मेदारी 2010 के बाद विकास अधिकारी को सौंप दी गयी. ऐसे में वे इसके लिए कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं.