विज्ञापन, फोटो : माधव में बीओआइ नाम से व 12 नंबर, बीओआइ फोटो कैप्शन : कार्यशाला को संबोधित करते आंचलिक प्रबंधक रमेश ठाकुर (दायं), राजभाषा अधिकारी, दूसरी फोटो कैप्शन : कार्यशाला में उपस्थित बैंक के लिपिक —————————–संवाददाता, मुजफ्फरपुरदेश में अनेक भाषा बोली जाने के बावजूद संविधान निर्माताओं ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया. उनलोगों का मानना था कि हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो पूरे देश को एक सूत्र में बांध सकती है. उक्त बातें बैक ऑफ इंडिया (बीओआइ) के आंचलिक प्रबंधक रमेश ठाकुर ने मंगलवार को लिपिक संवर्ग के लिए आयोजित हिंदी कार्यशाला में कहीं. उन्होंने कहा, बीओआइ परिवार पूरे देश में अपने ग्राहकों को 109 वर्षों से उत्कृष्ट सेवा देता आ रहा है. जब हम हिंदी को अपने कारोबार में पूरी तरह समाहित कर लेंगे, तभी देश के अधिकतम लोग बैंक की लाभप्रद योजनाओं का पूरा लाभ उठा पायेंगे. सभी स्टाफ से कहा, उनमें स्नेहशीलता का होना जरूरी है. कार्यशाला में राजभाषा प्रबंधक निरंजन कुमार बरनवाल ने संविधान में लिखित हिंदी के प्रावधानों के बारे में बताया. साथ हिंदी यूनीकोड टंकण के बारे में जानकारी दी. कार्यशाला में आये लिपिक वर्ग में सभी प्रतिभागियों ने इसे बेहतर बताते हुए भविष्य में ऐसे और कार्यशाला करना का सुझाव दिया, ताकि अधिक से अधिक लोग हिंदी भाषा से जुड़ सकें.
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देश को एक सूत्र में बांध सकती है हिंदी
विज्ञापन, फोटो : माधव में बीओआइ नाम से व 12 नंबर, बीओआइ फोटो कैप्शन : कार्यशाला को संबोधित करते आंचलिक प्रबंधक रमेश ठाकुर (दायं), राजभाषा अधिकारी, दूसरी फोटो कैप्शन : कार्यशाला में उपस्थित बैंक के लिपिक —————————–संवाददाता, मुजफ्फरपुरदेश में अनेक भाषा बोली जाने के बावजूद संविधान निर्माताओं ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया. उनलोगों […]
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