मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में स्नातक पार्ट वन की परीक्षा को कंप्यूटराइज्ड बनाने के लिए जिस एजेंसी (केंद्रीय भंडार समिति) को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, उसने नियमों का पालन नहीं किया. पंजीयन व एडमिट कार्ड निर्माण में व्यापक पैमाने पर नियमों की अनदेखी हुई. यह खुलासा खुद विवि की ओर से गठित जांच कमेटी ने किया है. फिलहाल एजेंसी के भुगतान पर रोक लगायी जा रही है. इसके खिलाफ एजेंसी ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है. पर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ही एजेंसी को भुगतान करने की अनुशंसा कर दी थी. हालांकि, एजेंसी की ओर से अनुबंध का पालन नहीं करने के कारण कमेटी ने भुगतान की राशि में कटौती की बात कही थी.
पूर्व कुलानुशासक डॉ एके श्रीवास्तव के नेतृत्व में बनी जांच कमेटी में वित्त परामर्शी जीसीएल श्रीवास्तव, सीसीडीसी डॉ विनोद प्रसाद सिंह, महनार विधायक डॉ अच्यूतानंद व पूर्व एमएलसी डॉ राम कुमार सिंह शामिल थे. कुलपति को सौंपी रिपोर्ट में कमेटी ने बताया है कि एजेंसी को अनुबंध के तहत छात्रों का रजिस्ट्रेशन, उपस्थिति पंजी, एडमिट कार्ड निर्माण, टेबुलेटिंग, रिजल्ट प्रकाशन, अंक पत्र व प्रमाण पत्र निर्गत करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. पर एजेंसी ने शुरुआत से ही अनुबंध का पालन नहीं किया.
एडमिड कार्ड का मैनुअली निर्माण
सर्वप्रथम उसने विवि को 99,049 छात्रों के पंजीयन का बिल सौंपा, जबकि रजिस्ट्रेशन स्लिप महज 87,665 छात्रों का दिया गया. इसी तरह कंप्यूटराइज्ड एडमिट कार्ड उपलब्ध कराना था, पर शुरू में इसका निर्माण मैनुअली किया गया, बाद में उसे कंप्यूटराइज्ड तैयार किया गया. इससे परीक्षा शुरू होने से महज दो दिन पूर्व एडमिट कार्ड उपलब्ध कराया गया, जिससे परेशानी का सामना करना पड़ा.
नहीं किया गया टेबुलेटर बहाल
कॉपियों की टेबुलेटिंग के लिए एजेंसी को टेबुलेटर बहाल करना था, पर ऐसा नहीं किया गया. इससे रिजल्ट संदेह के घेरे में है. अनुबंध के तहत एजेंसी को विवि के कर्मचारियों को कंप्यूटराइज्ड परीक्षा के संचालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाना था, पर इस दिशा में भी कोई पहल नहीं हुई. विवि ने यह रिपोर्ट राजभवन को भेज दी है.