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संकल्प लें,एइएस पर जागरूकता फैलायेंगे
प्रभात अभियान में बोले डीएम अनुपम कुमार मीनापुर (मुजफ्फरपुर) : प्रभात अभियान के तहत एइएस ( एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) पर जागरूकता का चौथा पड़ाव मीनापुर का आदर्श मध्य विद्यालय बना. सोमवार को यहां आयोजित जागरूकता शिविर में लगभग एक हजार लोगों ने शिरकत की. इनमें अस्सी से नब्बे फीसदी तादाद महिलाओं की थी. डीएम अनुपम […]
प्रभात अभियान में बोले डीएम अनुपम कुमार
मीनापुर (मुजफ्फरपुर) : प्रभात अभियान के तहत एइएस ( एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) पर जागरूकता का चौथा पड़ाव मीनापुर का आदर्श मध्य विद्यालय बना. सोमवार को यहां आयोजित जागरूकता शिविर में लगभग एक हजार लोगों ने शिरकत की. इनमें अस्सी से नब्बे फीसदी तादाद महिलाओं की थी.
डीएम अनुपम कुमार व वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजीव कुमार ने बताया कि किस तरह की सावधानी रखके बच्चों को एइएस के प्रकोप से बचाया जा सकता है. इस मौके पर डीएम ने मौजूद लोगों को इस बात का संकल्प लेने को कहा कि वो अपने आसपास के लोगों को एइएस से बचाव के बारे में जागरूक करेंगे.
अभियान की शुरुआत नाट्यकला जत्था के स्वच्छता व एइएस पर जागरूकता के नुक्कड़ नाटक से हुई. इसमें दिखाया गया कि कैसे साफ-सफाई का संबंध स्वास्थ्य से है. कोई व्यक्ति तभी स्वस्थ रह सकता है, जब वो अपने व परिवार के सदस्यों के साथ अपने घर के आसपास भी साफ-सफाई रखे. खुले में शौच नहीं जाये, घर में शौचालय बनवाये. साथ ही पिछले 20 सालों से मुजफ्फरपुर व आसपास के जिलों में फैलनेवाली एइएस के क्या कारण होते हैं? इसके बारे में भी नाटक के जरिये बताया गया कि कैसे दो बच्चे गरमी के दिन में धूप में खेलते हैं. तालाब व नदी का असुरक्षित पानी पीते हैं. पेड़ से गिरे कटे व खराब फलों को खा लेते हैं. इससे वो बीमार हो जाते हैं.
नाटक में ये भी बताया गया कि एइएस जैसे लक्षण होने पर ओझा-गुनी के चक्कर में फंसने के बजाय बच्चे को तुरंत इलाज के लिए पास के पीएचसी ले जाना चाहिए. इससे पहले बीमार बच्चे का घर में प्राथमिक उपचार करें. इसमें बच्चे के शरीर को भीगे कपड़े से पोछें और होश होने पर ओआरएस का घोल पिलायें.
इसके बाद डॉ राजीव कुमार ने बताया कि कैसे खान-पान में सावधानी रख कर बच्चे को स्वस्थ रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि बच्चे को रात के समय मीठा (गुड़) जरूर खिलाना चाहिए, क्योंकि गुड़ में सबसे ज्यादा आइरन होता है. उन्होंने बताया, बच्चे को दही जरूर खिलाना चाहिए. इसके अलावा प्रोटीन के लिए उसे अंकुरित मूंग व चना देना चाहिए. इसमें ज्यादा खर्च नहीं आता है. अनार व सेब जैसे महंगे फल खिलाने की ज्यादा जरूरत नहीं है. घर के आसपास मिलनेवाली चीजों को खिलाकर ही हम बच्चों को स्वस्थ रख सकते हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चे को गरमी में नंगे बदन नहीं घूमने देना चाहिए और उसकी साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए. अगर ये सब करेंगे, तो शायद बच्च बीमार नहीं पड़ेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों में हाथ धो कर खाना खाने की आदत डालनी चाहिए. इससे वो 50 फीसदी बीमरियों से बच जायेगा. साथ ही पानी को उबाल कर पिलायें. घर में आनेवाली सब्जी को पहले ठंडे पानी में रखें. इसके बाद गरम पानी में रखें. इससे सब्जी में जितना केमिकल होगा, वो निकल जायेगा.
डीएम अनुपम कुमार ने कहा कि जैसा कि आप लोग जानते हैं कि बीमारी के कारणों के बारे में पता नहीं चल पाया है, आखिर ये होती क्यों है? ऐसे में डॉक्टरों ने बीमारी को लेकर जो प्रोटोकॉल तैयार किया है, उसका पालन करके हम अपने बच्चों का बचाव कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आशा, प्रेरक व टोला सेवकों की जिम्मेवारी इसमें ज्यादा बढ़ जाती है.
आप लोगों को हर व्यक्ति तक एइएस से जागरूकता के बारे में बताना चाहिए.
प्रभात अभियान के कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो लक्ष्मीकांत ने की. संचालन शिवचंद्र प्रसाद ने किया. इस मौके पर बीडीओ शशिकांत प्रसाद, बीइओ नरेंद्र कुमार सिंह, स्वास्थ्य प्रबंधक तौसीफ इमाम हाशमी, जीविका के परियोजना प्रबंधक अजय कुमार राव, बीसीएम मिथिलेश कुमार, जिला पार्षद शैल देवी, मुखिया रजिया देवी, वकील चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता नागो देवी, तेज नारायण चौधरी, वकील चौधरी, जदयू नेता सुबोध कुमार कुशवाहा, पंसस तेजनारायण सहनी, राजद किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सच्चिदानंद कुशवाहा, जदयू किसान प्रकोष्ठ के अधयक्ष शिवचंद्र प्रसाद, एचएम सुरेश कुमार सिन्हा, नियोजित शिक्षक महासंघ के राकेश कुमार व शमशाद अहमद शाहिल, प्रमंडलीय प्रवक्ता लखनलाल निषाद, रवींद्र कुमार, शब्बर राजा,भाजपा नेता सुबोध कुमार, निषाद संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष अजय सहनी, सैयद असगर इमाम मुख्य रूप से मौजूद थे.
इलाज करायें, खर्च हम दिलवायेंगे
डीएम अनुपम कुमार ने कहा कि पहले तो बचाव करें, ताकि कोई बच्च एइएस की चपेट में नहीं आये, अगर कोई बच्च इसकी चपेट में आ भी जाये, तो घबराना नहीं है. जितना जल्दी हो, प्राथमिक उपचार के बाद उसे अस्पताल ले जाना है. इतनें जो खर्च आयेगा, उसे पिछले साल की तरह इस बार भी हम (प्रशासन) दिलवायेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि ये तय करना चाहिए कि कोई भी बच्च रात में खाली पेट नहीं सोये, क्योंकि अभी तक जो मामले सामने आये हैं, ज्यादातर में बीमारी रात दो-तीन बजे ही हुई है. ऐसे में अभिभावकों को सतर्क रहने की जरूरत है.
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