वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरकिसानों की उपेक्षा, खेती की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. किसानों का दर्द धरती पुत्र से बेहतर कौन बयां कर सकता है. प्रभात खबर ने शनिवार को कंबाइंड बिल्डिंग स्थित प्रेस क्लब सभागार में किसानों की पीड़ा जानने व किसानों की आवाज को सही प्लेटफॉर्म देने के लिए परिचर्चा का आयोजन किया था. किसानों ने बेबाकी से अपनी बातें रखीं. किसानों ने कहा कि बड़े नेताओं को, अधिकारियों को व शहर वासियों को समय पर अनाज, फल, दूध व सब्जी मिल जाते हैं तो इन्हें किसानों की असलियत की जानकारी नहीं होती है. फसल की सही कीमत नहीं मिले तो किसानों को शहर के साथ-साथ प्रमुख नेताओं व व्यक्तियों को सब्जी, फल, अनाज व दूध की आपूर्ति बंद कर देनी चाहिए. इस प्रकार का आंदोलन जब तक नहीं होगा, किसानों की दुर्दशा इसी प्रकार होती रहेगी. किसान झांसेबाजों के हाथ की कठपुतली बने रहेंगे. किसानों ने कहा, विद्यालयों में शिक्षक नौकरी करते हैं, कर्मचारी नौकरी करते हैं. इनका वेतन व महंगाई भत्ता इनकी मरजी के अनुसार समय-समय तय नहीं होता है तो यह स्कूल, कॉलेज व सारे शिक्षण संस्थान, सरकारी कार्यालय में ताला जड़ देते हैं. क्यों न किसान भी ऐसा ही करें. अपनी मांग को सही दिशा देने के लिए यह कारगर तकनीक साबित होगा. तब देश व राज्य की सरकारें किसानों की बातें सुनेगी. न तो हम इन झूठे नेताओं के झांसे में पीसते रहेंगे.
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सही कीमत नहीं मिली तो शहर में नहीं देंगे अनाज, सब्जी और दूध
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरकिसानों की उपेक्षा, खेती की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. किसानों का दर्द धरती पुत्र से बेहतर कौन बयां कर सकता है. प्रभात खबर ने शनिवार को कंबाइंड बिल्डिंग स्थित प्रेस क्लब सभागार में किसानों की पीड़ा जानने व किसानों की आवाज को सही प्लेटफॉर्म देने के लिए परिचर्चा का आयोजन किया […]
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