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बाल कैदी रूपेश की मौत का मामला
मुजफ्फरपुर : बाल बंदी रूपेश कुमार की मौत मामले में रिमांड होम मुजफ्फरपुर के तत्कालीन अधीक्षक धर्मेद्र कुमार व गया के अधीक्षक अरुण पासवान फंस गये हैं. मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के बाद नगर पुलिस ने दोनों के खिलाफ वारंट के लिए शुक्रवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी वेद प्रकाश सिंह के कोर्ट में अर्जी दी […]
मुजफ्फरपुर : बाल बंदी रूपेश कुमार की मौत मामले में रिमांड होम मुजफ्फरपुर के तत्कालीन अधीक्षक धर्मेद्र कुमार व गया के अधीक्षक अरुण पासवान फंस गये हैं.
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के बाद नगर पुलिस ने दोनों के खिलाफ वारंट के लिए शुक्रवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी वेद प्रकाश सिंह के कोर्ट में अर्जी दी है. दोनों के खिलाफ वारंट निकलते ही गिरफ्तारी की जायेगी. धर्मेद्र कुमार फिलहाल निलंबित हैं. वह जमुई जिले के सिकंदरा के रहने वाले है, जबकि गया रिमांड होम के अधीक्षक अरुण पासवान बेगूसराय जिले के हैं.
दोनों अधीक्षकों पर रूपेश के पिता कमलेश सिंह ने नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. दारोगा उमाशंकर सिंह मामले की छानबीन कर रहे थे. नगर डीएसपी अनिल कुमार सिंह ने भी पर्यवेक्षण रिपोर्ट में दोनों को दोषी पाते हुए गिरफ्तारी का आदेश दिया है, जबकि रिमांड होम के अन्य कर्मियों की संलिप्तता के मसले पर छानबीन करने का निर्देश दिया है. पर्यवेक्षण रिपोर्ट आने के बाद दोनों के खिलाफ वारंट के लिए अर्जी दी गयी है.
सहायक निदेशक भी दोषी
बाल कैदी रूपेश कुमार की मौत की न्यायिक जांच करायी गयी थी, जिसमें रिमांड होम के कर्मी, अधीक्षक व जिला बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक की लापरवाही सामने आयी है. रिपोर्ट में बताया गया कि अधीक्षक को घटना की जानकारी होने के बाद भी वह अभिमन्यु कुमार यादव को चार्ज देकर छुट्टी पर चले गये थे, हालांकि घटना के दो दिन बाद ही मंत्री लेसी सिंह ने अधीक्षक धर्मेद्र कुमार को लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया गया था. उपाधीक्षक अभिमन्यु कुमार से स्पष्टीकरण की मांग की गयी थी. यहीं नहीं, 24 घंटे के अंदर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करा कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश निदेशक रोजी रानी को दिया गया था.
साजिश के तहत हत्या का आरोप
रूपेश के पिता ने जो प्राथमिकी दर्ज करायी थी, उसमें कहा गया था कि साजिश कर उनके बेटे की हत्या की गयी है. उनका कहना था कि उनके पुत्र को मुजफ्फरपुर रिमांड होम में शिफ्ट कराने की उन्हें जानकारी नहीं थी. 17 अगस्त को रिमांड होम कर्मियों ने रूपेश को उल्टी होने की शिकायत पर सदर अस्पताल में भरती कराया था. उसके शरीर पर दर्जनों जख्म के निशान देख पुलिस को सूचना दी गयी थी. नगर डीएसपी अनिल कुमार सिंह सहित कई पुलिस अधिकारी शरीर पर मिले जख्म के निशान को देख चौंक गये थे. उसकी पीठ पर जगह-जगह रॉड से पिटाई के निशान मिले थे, जबकि कमर के नीचे बने घाव को देख डॉक्टर फैज अहमद का कहना था कि किसी गरम चीज से उसे दागा गया था.
मारपीट के बाद हुआ था ट्रांसफर
रूपेश पर पूर्व से लूट के कई मामले दर्ज थे. वह आरा रिमांड होम से पूर्व में भाग चुका था. गया रिमांड होम के अधीक्षक से रूपेश ने 10 अगस्त के पूर्व मारपीट कर ली थी. इसी कारण उसका गया से मुजफ्फरपुर रिमांड होम ट्रांसफर किया गया था. रूपेश की मौत अत्यधिक पिटाई से हुई थी. तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने उसके शव का पोस्टमार्टम किया था. उसका दायें फेफड़ा में जख्म के निशान मिले थे, जबकि उसका आंत भी फटी हुयी था.
कर्मियों की लापरवाही
रूपेश की पिटाई के मामले में रिमांड होम के कर्मियों की लापरवाही उजागर हुई थी. मारपीट की घटना होने के बाद भी रूपेश को इलाज के लिए अस्पताल में भरती नहीं कराया गया था. 17 मार्च को भी उसके साथ मारपीट की गयी थी, जिससे शाम होते-होते उसकी तबियत बिगड़ गयी थी. उसकी मौत रिमांड होम में ही हो गयी थी, लेकिन पुलिस से बचने के लिए उसे सदर अस्पताल में इलाज के लिया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था.
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