मुजफ्फरपुर. एसकेएमसीएच में मरीजों की बेहतर जांच के लिए पीपीपी मोड में डोयन जांच घर खोले गये. लेकिन इस जांच घर का लाभ ज्यादातर मरीज नहीं उठा पा रहे हैं.
आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष जनवरी में 241, फरवरी में 210 व मार्च में 481 मरीजों की ही यहां जांच हो पायी है. जबकि अस्पताल में हर दिन पंद्रह सौ से दो हजार मरीज आते हैं. बताया जाता है कि इस जांच सेवा का लाभ मरीजों को मुफ्त तब मिलता है, जब मरीजों को मिलने वाली लाल या पीली परची पर सीनियर डॉक्टर के हस्ताक्षर होते हैं. या फिर अस्पताल अधीक्षक व उपाधीक्षक अनुशंसा करते हैं.
उस परची पर अस्पताल में चलने वाले डोयन जांच घर में जमा कराने पर मरीजों को जांच का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है. लेकिन विडंबना है कि सीनियर डॉक्टर तो ओपीडी में बिरले ही होते हैं. ऐसे में मरीजों का इलाज जूनियर डॉक्टर करते हैं. जांच भी वही लिखते हैं. गांव से आने वाले मरीजों को यह मालूम नहीं होता कि सीनियर डॉक्टर या अधीक्षक को गरीबी रेखा का प्रमाण पत्र दिखाने पर जांच मुफ्त हो सकती है. डोयन जांच घर के संचालक मनीष कुमार बताते हैं कि सीनियर डॉक्टर के हस्ताक्षरयुक्त लाल व पीली परची वाले मरीज की मुफ्त में जांच की जाती है.