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जिले में मिला एइएस का पहला मरीज

रूनी सैदपुर निवासी मो अंजार का चार वर्षीय पुत्र दिलकश में एइएस की पुष्टिकई तरह की जांच में बीमारी नहीं मिलने पर डॉक्टरों ने माना एइएससिविल सर्जन डॉ ज्ञान भूषण ने मुख्यालय को कराया अवगत11 को भरती हुआ था दिलकश, पिछले वर्ष भी 11 अप्रैल से हुई थी बीमारीवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच के पीयूसीआई […]

रूनी सैदपुर निवासी मो अंजार का चार वर्षीय पुत्र दिलकश में एइएस की पुष्टिकई तरह की जांच में बीमारी नहीं मिलने पर डॉक्टरों ने माना एइएससिविल सर्जन डॉ ज्ञान भूषण ने मुख्यालय को कराया अवगत11 को भरती हुआ था दिलकश, पिछले वर्ष भी 11 अप्रैल से हुई थी बीमारीवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच के पीयूसीआई में भरती रूनी सैदपुर के ओलीपुर गांव निवासी मो अंजार के चार वर्षीय पुत्र दिलकश को एइएस होने की पुष्टि सोमवार को कर दी गयी. एसकेएमसीएच में हुई मेंजेंटाइटिस, मलेरिया व टाइफाइड सहित अन्य जांच रिपोर्ट में कोई बीमारी नहीं निकलने पर दिलकश को एइएस का मरीज माना गया. दिलकश 11 अप्रैल को एसकेएमसीएच में भरती हुआ था, उसे तेज बुखार व चमकी थी. दो दिनों के इलाज के बाद उसे एइएस होने की बात कही गयी है. सिविल सर्जन डॉ ज्ञान भूषण ने भी एइएस की पुष्टि करते हुए कहा है कि वे मुख्यालय को इसकी सूचना दे रहे हैं. जानकारी हो कि पिछले वर्ष 11 अप्रैल को जिले में यह बीमारी शुरू हुई थी. इस वर्ष भी 11 अप्रैल से बीमारी का कहर शुरू हुआ है.चमकी से पीडि़त दो बच्चे भरतीचमकी से पीडि़त दो और बच्चों को एसकेएमसीएच में भरती किया गया है. जीरो माइल निवासी सागर सिंह की नौ वर्षीया पुत्री रोजी व सीतामढ़ी के परिहार निवासी शिवराम की डेढ़ वर्षीया पुत्री रीतिका तेज बुखार व चमकी से पीडि़त थी. दोनों सोमवार को पीयूसीआई में भरती हुई है. फिलहाल पीयूसीआई में तीन व वार्ड नं. 2 में पांच बच्चों का इलाज किया जा रहा है. जिसमें एक को ही एइएस का मरीज माना गया है. अन्य बच्चों में एइएस की पुष्टि नहीं हुई है.

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