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हाइकोर्ट ने विश्वविद्यालय पर ठोंका जुर्माना

मुजफ्फरपुर: प्रोफेसर से रीडर के पद पर डिमोट कर दिये जाने के मामले में समय पर जवाब नहीं देने के कारण पटना हाइकोर्ट ने बीआरए बिहार विवि व राज्य सरकार पर जुर्माना ठोका है. विवि को दो हजार रुपये व सरकार को चार हजार रुपये देने होंगे. यह राशि सरकारी कोष से नहीं, अधिकारी को […]

मुजफ्फरपुर: प्रोफेसर से रीडर के पद पर डिमोट कर दिये जाने के मामले में समय पर जवाब नहीं देने के कारण पटना हाइकोर्ट ने बीआरए बिहार विवि व राज्य सरकार पर जुर्माना ठोका है. विवि को दो हजार रुपये व सरकार को चार हजार रुपये देने होंगे. यह राशि सरकारी कोष से नहीं, अधिकारी को अपने निजी फंड से जमा करना होगा. मामला विवि रसायन विभागाध्यक्ष डॉ बीएन झा से जुड़ा है.
27 जनवरी 1977 को उन्हें कुलपति नियुक्ति के तहत लेक्चरर के रूप में योगदान दिया. फिलहाल टाइम बॉड प्रमोशन के तहत वे प्रोफेसर के रूप में कार्यरत है. बीते वर्ष जुलाई माह में विवि लेखा विभाग ने उनकी वेतन में कटौती करते हुए रीडर का वेतनमान देना शुरू कर दिया. इसकी शिकायत उन्होंने कुलपति डॉ पंडित पलांडे से की थी.

लेकिन लेखा विभाग ने बताया कि सरकार के वेतन कोषांग ने उनकी नियुक्ति 1983 (चयन समिति के गठन वर्ष) से मानते हुए रीडर माना है. इसके खिलाफ डॉ झा हाइकोर्ट में चले गये. गत 23 अप्रैल को उसकी सुनवाई होनी थी. इससे पूर्व विवि व सरकार से इस मामले में कोर्ट ने जवाब मांगा था. लेकिन तय समय तक जवाब नहीं सौंपा गया. इसके बाद कोर्ट ने जुर्माना लगाने का फैसला लिया.

मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल निर्धारित है. इधर, सूत्रों की मानें तो विवि की ओर से कोर्ट को जवाब सौंप दिया गया है. इसमें बताया गया कि सेक्शन 35 के तहत वित्त के मामले में विवि प्रशासन राज्य सरकार का आदेश मानने को बाध्य है. गौरतलब है कि फिलहाल विवि के डेढ़ सौ से अधिक शिक्षकों का वेतन सत्यापन होना बाकी है. इस संबंध में कोषांग ने पिछले दिनों विवि को पत्र लिख कर सभी शिक्षकों की निुयक्ति से संबंधित संचिकाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.

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