मुजफ्फरपुर: पीजी के कॉपी पर बिना मार्किग के प्रथम श्रेणी का नंबर देने के मामले की जांच होगी. इसके लिए परीक्षा बोर्ड ने तीन सदस्यीय कमेटी गठन करने का निर्णय लिया है. सोमवार को विश्वविद्यालय स्थित कुलपति आवास पर परीक्षा बोर्ड की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये गये. बैठक में सदस्यों के चयन का अधिकार कुलपति को दिया गया है. मामला अंग्रेजी विभाग से जुड़ा है, इसलिए सभी अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष को कमेटी में शामिल किया जायेगा. निर्णय के तहत कमेटी 20 दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट पेश करेगी.
रिपोर्ट को दोबारा आयोजित होने वाली परीक्षा बोर्ड की बैठक में रखा जायेगा. साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन इस रिपोर्ट को राज भवन भेजेगा. वहीं एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के तहत पीजी के कॉपियों का मूल्यांकन विश्वविद्यालय में ही केंद्रीय कृत तरीके से कराया जायेगा. इसमें पीजी विभाग के प्रोफेसर भी शामिल होंगे. वर्तमान व्यवस्था में कॉपियों को जांच के लिए बाहर के विश्वविद्यालय में भेजा जाता है. इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से एक कॉडिनेटर नियुक्ति करने का प्रावधान था, अगले वर्ष से यह व्यवस्था समाप्त हो जायेगी. बैठक की अध्यक्षता कुलपति डॉ रवि वर्मा, प्रतिकुलपति डॉ राजेंद्र मिश्र,कुलसचिव डॉ विवेकानंद शुक्ला, मेंबर सेक्रेटरी सह परीक्षा नियंत्रक अरुण कुमार सिंह, डॉ प्रसून्न कुमार राय, डॉ टीएन सिंह, डॉ रामचंद्र सिंह सहित कई प्रोफेसर मौजूद थे.
क्या था मामला
पिछले परीक्षा बोर्ड की बैठक में टेबलेटर ने अंग्रेजी विषय में पीजी की एक ऐसी कॉपी बोर्ड के समक्ष रखा, जिसमें एक छात्र को फस्र्ट क्लास का (63) नंबर दिया गया था, पर कॉपी के अंदर जांच नहीं की गयी थी. मामले का खुलासा होने पर बोर्ड ने पीजी के अन्य कॉपियों की जांच का निर्णय लिया है. इसके बाद सदस्यों ने कॉपी जांच के कॉडिनेटर डॉ रमेंद्र सिंह के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी. साथ ही मगध विश्वविद्यालय के कुलपति को भी पत्र लिख कर मामले से अवगत कराया गया था. इसी मामले में सोमवार को एक बार फिर बोर्ड की बैठक बुलायी गयी जिसमें जांच का फैसला लिया गया.