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जब आप हमारा नाम नहीं जानते, पुलिसवालों को कैसे पता
मुजफ्फरपुर: आप बताइये सर, मेरा नाम क्या है. मैं किस बैच का छात्र हूं. मेरा घर कहां है? सर, आप नहीं बता सकते हैं. जब कैंपस में रहते हुए आप मेरा नाम नहीं जानते, तो फिर बाहर वाले या पुलिस वाले मेरा नाम कैसे जान गये? प्राथमिकी में नामजद करने के लिए कुलसचिव कार्यालय से […]
मुजफ्फरपुर: आप बताइये सर, मेरा नाम क्या है. मैं किस बैच का छात्र हूं. मेरा घर कहां है? सर, आप नहीं बता सकते हैं. जब कैंपस में रहते हुए आप मेरा नाम नहीं जानते, तो फिर बाहर वाले या पुलिस वाले मेरा नाम कैसे जान गये? प्राथमिकी में नामजद करने के लिए कुलसचिव कार्यालय से नाम, रौल नंबर, बैच व पता पुलिस को उपलब्ध करायी गयी है. खुद ब्रrापुरा थाना के दारोगा का ऐसा कहना है. मेरे पास उसका ऑडियो प्रूफ है.
सोमवार को एमआइटी कॉलेज में संवाद के दौरान जब छात्र अंकित सौरभ ने यह बात कही तो प्राचार्य डॉ एके नथानी सहित अन्य शिक्षक बगल झांकते दिखे. उन्हें कोई उत्तर नहीं सूझ रहा था. आखिर में उप कुलसचिव डॉ मणिकांत आगे आये. उन्होंने कहा, लक्ष्मी चौक पर घटना के बाद ब्रह्नापुरा थाना के एसएचओ 25 छात्रों के नाम व बैच की सूची लेकर उनके पास आये थे. इसका रिकॉर्ड कार्यालय में मौजूद है. उसमें से एक नाम 2010 बैच के प्रशांत कुमार का भी था.
उन्हें बताया गया कि 2010 बैच एमआइटी से पास आउट हो चुका है. बाद में एसएचओ के कहने पर ही उन्हें छात्रों का पता बताया गया. छात्र इससे संतुष्ट नहीं हुए. उन्होंने कहा, जब 2010 बैच के प्रशांत कुमार का नाम अभियुक्त के रू प में लाया जा सकता है, तो क्या गारंटी है कि अन्य छात्रों के नाम सही थे! क्या कॉलेज प्रबंधन ने छात्रों के नाम, पता, बैच नंबर व रौल नंबर देते समय इसकी जांच की थी? इसका कोई सबूत कॉलेज प्रबंधन के पास है! सर, नामजद में कई ऐसे छात्र भी शामिल हैं जो उस दिन शहर में थे ही नहीं. इसकी भी रिकॉर्डिग सबूत के रू प में उपलब्ध है. ऐसे में यदि इन छात्रों का कैरियर बरबाद होता है तो इसके लिए क्या कॉलेज प्रबंधन जिम्मेदार नहीं!
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