मुजफ्फरपुर: जवाहर लाल रोड से अगवा 14 वर्षीय स्कूली छात्र नवरुणा के मामले को सीबीआइ को सौप दिया गया है. अब सीबीआइ को तय करना है, वह इस मामले में क्या कदम उठाती है. प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर कार्मिक विभाग ने इसे सीबीआइ के पास भेजा है. ग्यारह महीने पहले नवरूणा का अपहरण रात के समय उसके घर से हुआ था. इस मामले की जांच पहले बिहार पुलिस ने की, फिर मामले को सीआइडी को सौप दिया गया था, लेकिन अभी सीआइडी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है. वहीं, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला चल रहा है.
अगवा होने के बाद से ही नवरूणा के परिजन उसकी बरामदगी के लिए लगातार अधिकारियों से गुहार रहे थे. मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर नवरूणा के परिजन शुरू से ही सवाल उठाते रहे हैं. वह सीबीआइ जांच की मांग कर रहे थे. इसी वजह से इन लोगों ने डीएनए टेस्ट के लिए खून का नमूना नहीं दिया था. इनका कहना था, अगर मामले की जांच सीबीआइ करेगी तो वह खून का नमूना देंगे. पश्चिम बंगाल कई सांसदों व विधायकों ने मामले की सीबीआइ जांच के लिए केंद्र सरकार को लिखा था.
नवरूणा की बरामदगी को लेकर लॉ के छात्र अभिषेक रंजन ने सुप्रीम कोर्ट में पीआइएल दायर की थी. इस कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य के डीजीपी व मुख्य सचिव को तलब किया था. जवाहर लाल रोड स्थित मकान से 14 वर्षीय स्कूली छात्र का अपहरण 18 सितंबर 2012 को हुआ था. उसे रात में कमरा के खिड़की की छड़ उखाड़ कर अगवा किया गया था. नगर थाना में नवरूणा के पिता अतुल चक्रवर्ती ने दर्ज करायी थी. प्राथमिकी के बाद पुलिस खोजबीन की, लेकिन कोई पता नहीं चला.
पुलिस इस मामले में शहर के कई बड़े भूमाफियाओं से भी पूछताछ की थी. इसके बाद तीन संदिग्ध व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. मामले की जांच ही चल रही थी कि कुछ माह बाद नवरूणा के घर के समीप नाला से एक कंकाल मिला. इसके बाद इस मामले ने नया मोड़ ले लिया, तब राज्य सरकार ने इसकी जांच सीआइडी के हवाले कर दी. सीआइडी भी सात माह से जांच करने में जुटी हुई थी, लेकिन अब तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा है.