मुजफ्फरपुर: आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच के घेरे में आये अधीक्षण अभियंता के पीछे निगरानी एक माह से पड़ी हुई थी. उनकी चल-अचल संपत्ति से लेकर अघोषित संपत्ति पर भी निगरानी की नजर थी. कई अधिकारी लगातार उनके आवास से लेकर गांव तक की संपत्ति की छानबीन में जुटे थे. माड़ीपुर में ही पांच करोड़ की संपत्ति का पता चला था. छानबीन में पता चला कि इंजीनियर की संपत्ति की घोषणा के अलावा भी कई जगहों पर करोड़ों की अघोषित संपत्ति है. 32 वर्ष की नौकरी के दौरान उसने करोड़ों की संपत्ति अजिर्त की है.
जून 2013 तक निगरानी ने अरविंद कुमार सिंह की वेतन विवरणी भी कोषागार से प्राप्त की, जिसके आधार पर उनकी आय एक करोड़ 16 लाख रुपये के आसपास आंकी गयी. वहीं, व्यय के बाद उनकी संपत्ति 30 लाख 30 हजार के आसपास होनी चाहिए थी. लेकिन जांच में अघोषित संपत्ति पांच करोड़ 64 लाख से अधिक आंकी गयी. हालांकि जांच के दौरान इंजीनियर की संपत्ति के न्यूनतम मूल्य का आकलन किया गया है. बताया जाता है कि वर्तमान बाजार भाव से अघोषित संपत्ति 10 करोड़ से अधिक होगी. माड़ीपुर की बेशकीमती जमीन पर अभियंता अरविंद कुमार सिंह पत्नी के नाम से करोड़ों की लागत से छह मंजिला होटल के निर्माण में जुटा था. हालांकि, होटल चंद्रा पैलेस के निर्माण में बैंक से एक करोड़ 20 लाख रुपये लोन की बात सामने आयी है. सात अप्रैल 2008 को इंजीनियर ने उस जमीन को खरीदा था. दो कट्ठे से अधिक जगह में बन रहे होटल की जमीन पति-पत्नी के नाम से है.
पूछताछ : निगरानी टीम ने इंजीनियर से भी पूछताछ की. हालांकि, वह अघोषित संपत्ति पर सफाई देते नजर आये. जब निगरानी के अधिकारियों ने उनकी बेनामी संपत्ति का ब्योरा देना शुरू किया, तो इंजीनियर रहे. ठेकेदार लेकर पहुंचा पान : निगरानी ने पूरे घर की नाकेबंदी कर दी थी. छापेमारी के दौरान इंजीनियर का एक चहेता ठेकेदार पान लेकर पहुंचा, लेकिन टीम के सदस्यों ने उसे अंदर जाने की इजाजत नहीं दी. वहीं, जीनियर ने अपनी बेटी की शादी में करोड़ों रुपये खर्च किये थे. इंजीनियर का एक बेटा सरकारी सेवा में है.
खाता होगा फ्रिज : इंजीनियर के घर से विभिन्न बैंकों के दो दर्जन पासबुक जब्त किया गया था. बताया जाता है कि सभी खातों को फ्रिज किया जायेगा. निगरानी का कहना था कि शनिवार को बैंक में छानबीन के बाद रकम का खुलासा हो पायेगा.
2006 से पेट्रोल पंप : इंजीनियर ने 2006 में ही निजी कंपनी एस्सार का पेट्रोल पंप लिया था. पहले की डीड में उसने पंप में पत्नी, बेटा व पतोहू को हिस्सेदार बतायी है. वहीं, खुद व दूसरे बेटे को गवाह बनाया, जबकि 2007 के डीड में इंजीनियर ने पेट्रोल पंप में बेटा व पत्नी को हिस्सेदार बताया है.
पेट्रोल पंप से मिले कागजात : निगरानी विभाग की टीम ने एसपी उपेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में शुक्र वार को ई अरविंद कुमार सिंह के केसरिया रोड स्थित मकान व एस्सार पंप पर छापेमारी की. 20 दिनों से बंद पड़े पंप को इंजीनियर के भतीजा दीपू कुमार से खोलवाकर विभिन्न कागजात की जांच की गयी. वही मोबिल के स्टॉक को सूचीबद्ध किया. साथ ही मकान में व्यावसायिक किरायेदारों से पूछताछ की. इस दौरान पंप व मकान की फोटोग्राफी भी की गयी. इधर, निगरानी विभाग की टीम इ. अरविंद कुमार की ससुराल सलेमपुर स्थित आवास पर नहीं पहुंची.
षड़यंत्र के तहत हुई कार्रवाई : ग्रामीण कार्य विभाग सीवान के अधीक्षण अभियंता अरविंद कुमार सिंह ने निगरानी विभाग द्बारा की गयी छापेमारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक साजिश के तहत उनके यहां छापेमारी हुई है. उनके गांव में पैतृक जमीन 20 एकड़ है. इसमें पांच तालाब भी है. प्रतिवर्ष लीची से एक लाख रुपये आता है. इसके अलावा आम का बगीचा भी है. वे जिस घर में रह रहे है, वह 1985 में बना है. एक दूसरा मकान विजया बैंक से लोन लेकर खरीदे हैं. होटल बनाने के लिए भी डेढ़ करोड़ रुपये बैंक से लोन लिए हुए है. श्री सिंह ने बताया कि बड़ा लड़का वर्ष 2000 से एयर फोर्स में नौकरी करता है. अभी वह विंग कमांडर के पद पर है. दूसरा लड़का प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर है. उनकी किसी तरह की अवैध कमाई नहीं है. मुङो कोर्ट पर भरोसा है, मुङो न्याय मिलेगा.