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वेबसाइट पर डालें सीडी, वरना होगी कार्रवाई

मुजफ्फरपुर: शोध की गुणवत्ता व नकल को रोकने के लिए विवि अनुदान आयोग यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को शोध कार्यो की सूची व संक्षिप्त विवरण वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया था. लेकिन विश्वविद्यालयों में इसका पालन नहीं हो रहा है. चालू सत्र में विधान परिषद में भी यह मामला उठा था. इसे गंभीरता […]

मुजफ्फरपुर: शोध की गुणवत्ता व नकल को रोकने के लिए विवि अनुदान आयोग यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को शोध कार्यो की सूची व संक्षिप्त विवरण वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया था. लेकिन विश्वविद्यालयों में इसका पालन नहीं हो रहा है. चालू सत्र में विधान परिषद में भी यह मामला उठा था.

इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक एसएम करीम ने बीआरए बिहार विवि सहित सूबे के तमाम विश्वविद्यालयों के कुलसचिव को पत्र लिख कर एक माह का अल्टीमेटम दिया है. एक माह के भीतर विश्वविद्यालयों को शोध कार्यो की सूची व संक्षिप्त विवरण यूजीसी के साथ-साथ अपने वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा. ऐसा नहीं करने पर उन सभी पर कार्रवाई की जायेगी.

दरअसल, यूजीसी को लगातार शिकायत मिलती रही है कि विश्वविद्यालयों में शोध के नाम पर पायरेसी का ‘खेल’ चलता है. खुद यूजीसी ने जब इसका जांच की तो यह सही साबित हुआ. इसके बाद शोध पत्र की पायरेसी रोकने व विश्वसनीयता कायम रखने के लिए देश के सभी विश्वविद्यालयों को उनके यहां हुए शोध कार्य की सूची वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया था, ताकि शोध के लिए नये पंजीयन करने से पूर्व शोध के विषय की जांच आसानी से की जा सके.

यही नहीं, यूजीसी के रेगुलेशन 2009 में भी शोध के लिए पंजीयन से पूर्व शोध कार्य के विषय व उसका संक्षिप्त विवरण वेबसाइट पर अपलोड करने का प्रावधान है. इसके लिए अभ्यर्थियों से सीडी भी ली जाती है, लेकिन उसे अपलोड नहीं किया जाता है. पिछले दिनों विधान परिषद में विधान पार्षद दिलीप कुमार चौधरी के तारांकित प्रश्न के आलोक में विवि से जानकारी मांगी गयी. इसमें खुद विवि ने स्वीकार किया कि अभी ऐसा नहीं हो रहा है, लेकिन प्रक्रिया जारी है.

विदेशी शोध तक की होती रही है पायरेसी
विवि में भी शोध के नाम पर पायरेसी का खेल होता रहा है. प्रभात खबर ने ‘विदेशी शोध में लग रहा देसी तड़का’ शीर्षक से खबर छाप कर इसका खुलासा किया था. इसमें बताया गया था कि किस तरह विवि में आस्ट्रेलिया, पोलैंड व रसिया में हुए शोध कार्यों की नकल होती रही है. इसके लिए नकलची पहले विदेशों में पांच से दस साल पूर्व हुए शोध पत्र का चयन करते हैं. शीर्षक में मामूली फेरबदल किया जाता है. शोध के परिणाम व परिचर्चा (किसी भी शोध का सबसे अहम भाग) की कॉपी पुराने शोध पत्र से की जाती है. इसमें फुल स्टॉप, कामा व विसर्ग तक की कॉपी होती है. यही नहीं, विज्ञान विषयों में शोध का सबसे अहम भाग ग्राफिक माना जाता है, जिसके लिए कई जटिल गणनाएं करनी होती हैं. इन गणनाओं के लिए जिन उपकरणों की जरू रत होती है वे देश के चुनिंदा शिक्षण संस्थानों में ही उपलब्ध है. नकल के दौरान ग्राफिक को भी हूबहू शोध पत्र में उतार दिया जाता है.

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