इसकी देखरेख की जिम्मेदारी संबंधित विभागाध्यक्ष निभा रहे, लेकिन इन सभी का भुगतान किस आधार पर होगा, यह अभी तक तय नहीं है. कुलानुशासक डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव की मानें तो इसका फैसला परीक्षा बोर्ड की बैठक में होगा. कुलपति डॉ पंडित पलांडे के स्वस्थ होकर लौटने के बाद बैठक की तिथि घोषित की जायेगी.
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परीक्षा एक, मूल्यांकन निदेशक 22
मुजफ्फरपुर: एक परीक्षा, 22 मूल्यांकन निदेशक व करीब 100 को-ऑर्डिनेटर. सुनने में जरा अटपटा जरू र लगे, लेकिन बीआरए बिहार विवि में कुछ ऐसा ही हो रहा है. मामला स्नातक पार्ट थर्ड की परीक्षा का है. परीक्षा बोर्ड के निर्णय के अनुसार इन दिनों विवि के सभी 22 पीजी विभागों में कॉपियों का मूल्यांकन कार्य […]
मुजफ्फरपुर: एक परीक्षा, 22 मूल्यांकन निदेशक व करीब 100 को-ऑर्डिनेटर. सुनने में जरा अटपटा जरू र लगे, लेकिन बीआरए बिहार विवि में कुछ ऐसा ही हो रहा है. मामला स्नातक पार्ट थर्ड की परीक्षा का है. परीक्षा बोर्ड के निर्णय के अनुसार इन दिनों विवि के सभी 22 पीजी विभागों में कॉपियों का मूल्यांकन कार्य चल रहा है.
दरअसल, विवि में अब तक किसी एक परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन के लिए एक ही मूल्यांकन निदेशक बनाने का प्रावधान रहा है, लेकिन कुलपति डॉ पलांडे की अध्यक्षता में हुई परीक्षा बोर्ड ने पार्ट वन व पार्ट टू की कॉपियों का मूल्यांकन विवि में ही केंद्रीकृत रू प से कराने व पार्ट थर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन संबंधित पीजी विभागाध्यक्षों की देखरेख में कराने का फैसला लिया, लेकिन इन सभी को भुगतान किस रू प में होगा, इस पर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है. विशेषज्ञों की मानें तो परीक्षा बोर्ड से भुगतान की प्रक्रिया तय होने के बाद फाइनेंस कमेटी से भी इसकी मंजूरी लेनी पड़ेगी.
परीक्षा विभाग के पत्र को लेकर संशय
परीक्षा बोर्ड के फैसले के आलोक में परीक्षा नियंत्रक डॉ पंकज कुमार ने सभी पीजी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखा था. इसमें न तो उन्हें मूल्यांकन निदेशक और न ही मुख्य परीक्षक बनाने की बात अंकित थी. बल्कि उनकी देखरेख में कॉपी जांच होने की बात का उल्लेख था. इस पर कई विभागाध्यक्षों ने आपत्ति भी जतायी थी. फिलहाल कॉपियों की जांच चल रही है. परीक्षा विभाग की ओर से जारी परीक्षकों की सूची में से कई शिक्षकों ने मूल्यांकन कार्य के लिए योगदान नहीं दिया है. ऐसे में अधिकांश विभागाध्यक्षों ने खुद ही नये परीक्षकों को बहाल कर कॉपी जांच करवा रहे हैं.
विवि नियम के तहत परीक्षक नियुक्त करने का अधिकार परीक्षा विभाग या फिर विशेष परिस्थिति में मूल्यांकन निदेशक के पास ही होता है. ऐसे में यदि परीक्षा विभाग विभागाध्यक्षों को मूल्यांकन निदेशक नहीं मानती है, तो फिर विभाग की सूची से इतर शिक्षकों से कॉपी जांच करवाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो सकता है.
जांच के लिए प्रत्येक विभाग में औसतन पांच हजार कॉपी पर एक को-ऑर्डिनेटर की बहाली की गयी है. इस आधार पर प्रत्येक विभाग में औसतन चार से पांच को-ऑर्डिनेटर भी नियुक्त किये गये हैं. इनके भी भुगतान पर पेच फंस सकता है.
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