– प्रेम –
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर से मड़वन जाते समय रास्ते में तिरहुत नहर पड़ता है. नहर के पुल पर पहुंचते ही बांयी ओर जो नजारा देखने को मिलता है. उससे मन में एक–एक कर कई सवाल खड़े होते हैं. नहर के दोनों किनारों पर किस तरह से प्लास्टर किया गया है. काले रंग की प्लास्टिक की पन्नी पर लगभग एक इंच के आसपास के प्लास्टर. वह भी सही साबुत नहीं.
बारिश ज्यादा नहीं हुई, तब भी मिट्टी सेंटीमीटर व इंच में नहीं कई फिटों में बह गयी है नहर की. कई जगहों पर पैबंद लगाना पड़ा है. देखने पर समझ में नहीं आता है यह कच्च प्लास्टर है या फिर पक्का. जल संसाधन विभाग का कहना है, नहर की मरम्मत का काम हो रहा था, जिसे दो माह पहले ही पूरा कर लिया गया है.
बाल्मिकीनगर से काम शुरू हुआ था, जो समस्तीपुर की सीमा तक हुआ है. पहले टेंडर 480 करोड़ में हुआ था, लेकिन बाद में रिवाइज करके पांच सौ करोड़ किया गया. पुल पर से नहर के किनारों पर जहां तक नजर जाती है. वहां तक यही नजारा देखने को मिलता है.
मरम्मत के दौरान किस तरह से काम किया गया है ? कैसा सामान लगाया गया? सबकी कलई खुल जाती है. हाल में ही नहर मड़वन के पास ही चालीस फीट बह गया था, जिससे डेढ़ सौ घरों में पानी भर गया था. सैकड़ों एकड़ में पानी भर गया था.
दरअसल, नहर की खुदाई के बाद दोनों तटबंधों पर मिट्टी डालना. ईट सोलिंग के बाद सीमेंट से प्लास्टर किया जाना था, ताकि नहर काफी मजबूत रहे. किसानों को नहर का पानी मिल सके. इसके लिए बड़ी कंपनी को काम का जिम्मा दिया गया था. जब नहर पर काम चल रहा था, तब भी स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया था, लेकिन उन्हें डराया धमकाया गया.
झूठे केस में फंसा कर जेल भेजने की धमकी दी गयी. यह बातें स्थानीय लोग बताते हैं. उनका कहना है, घटिया सामग्री से मरम्मत का काम हुआ था. किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया है. लोगों का कहना है, काम किस तरह से हुआ है. यह कोई भी आकर देख सकता है, लेकिन अधिकारियों को इसमें कुछ गलत नहीं लग रहा है. वह जानकारी नहीं होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.
विभाग के मुख्य अभियंता गुंजालाल राम का कहना है, उन्हें प्लास्टिक पर प्लास्टर किये जाने की जानकारी नहीं है. इस्टीमेट क्या था. यह भी ध्यान में नहीं है. कहते हैं, आप मेरे ऑफिस आ जायें. आपको सारी जानकारी दे दूंगा.