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सदा जीवन, उच्च विचार के प्रतीक थे डॉ राजेंद्र बाबू

प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान बासोकुंड में व्याख्यानमालासरैया. प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान बासोकुंड में शनिवार को भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की स्मृति में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. व्याख्यानमाला में विशिष्ट अतिथि सह डॉ राजेंद्र प्रसाद की पोती प्रो तारा सिंह अध्यक्ष बिहार महिला चरखा समिति, पटना ने […]

प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान बासोकुंड में व्याख्यानमालासरैया. प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान बासोकुंड में शनिवार को भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की स्मृति में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. व्याख्यानमाला में विशिष्ट अतिथि सह डॉ राजेंद्र प्रसाद की पोती प्रो तारा सिंह अध्यक्ष बिहार महिला चरखा समिति, पटना ने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद का सदा जीवन, उच्च विचार वाले थे. उनका जन्म बिहार के जीरादेई गांव में हुआ था. उन्होंने बताया कि डॉ प्रसाद फारसी, अंग्रेजी, भोजपुरी के साथ-साथ दक्षिण भारत के विभिन्न भाषाओं के जानकार थे. उन्होंने कहा कि भाषा का प्रयोग भिन्नता के लिए नहीं बल्कि एकता की सेतु के लिए किया जाना चाहिए. श्री मती सिंह राजेंद्र बाबू की रचना व साहित्य को पाठयक्रम में शामिल करने का अपील किया, ताकि देशरत्न के विचार सत्य अहिंसा व सादा जीवन उच्च विचार से युवा पीढ़ी जान सके. प्रो एसएन चौधरी पूर्व अध्यक्ष दर्शन विभाग आरएन कॉलेज हाजीपुर ने कहा कि राजेंद्र बाबू गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन में कूद पड़े. व्याख्यान माला को प्रो प्रमोद कुमार सिंह पूर्व आचार्य हिंदी विभाग बीआरए बिहार विवि, डॉ रामजी सिंह पूर्व कुलपति जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूं ने संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन व विषय प्रवेश संस्थान के निदेशक डॉ ऋषभ चंद जैन, धन्यवाद ज्ञापन व्याख्याता डॉ मंजूबाला ने किया.

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