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महिला दिवस में जोड़ :::: पहले सम्मान दिया, अब किया जा रहा प्रताडि़त

– अजीजपुर कांड में एक दर्जन की जान बचाने चाली शैल देवी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सुनायी पीड़ामुजफ्फरपुर. बहुचर्चित अजीजपुर कांड में एक दर्जन से अधिक लोगों की जान बचाने वाली जिस बुजुर्ग महिला को तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने स्मृति चिह्न, शॉल और राशि देकर सम्मानित किया था, आज उसे पुलिस प्रशासन […]

– अजीजपुर कांड में एक दर्जन की जान बचाने चाली शैल देवी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सुनायी पीड़ामुजफ्फरपुर. बहुचर्चित अजीजपुर कांड में एक दर्जन से अधिक लोगों की जान बचाने वाली जिस बुजुर्ग महिला को तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने स्मृति चिह्न, शॉल और राशि देकर सम्मानित किया था, आज उसे पुलिस प्रशासन द्वारा प्रताडि़त किया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जब उनसे बातचीत की गयी, तो वह अपनी पीड़ा को व्यक्त कर द्रवित हो उठीं. बोलीं, क्या इसी से महिला सशक्त होंगी. उन्होंने कहा कि आग में जल रहे मुस्लिम समाज के घर और जान बचा कर भाग रहे लोगों को देख कर हमने अपने टूटे घर में एक दर्जन को शरण देकर उनकी जान बचायी. इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बहादुरी का सम्मान दिया. मगर उसके बाद क्या हुआ, यह कोई पूछने नहीं आया. मेरे बेटे रंजीत कुमार को केस में फंसा कर जीना हराम कर दिया गया है. कोई इधर से आकर कुछ कहता है तो कोई उधर से आकर कुछ कहता है. आखिर हम अपना बेटा को जेल जाने के लिए ही इतने लोगों की जान बचाये. वह आगे कहती हैं कि हमारे पास साधन नहीं है कि हम मुख्यमंत्री से जाकर गुहार लगायें. दारोगा जी को कहकर थक गयी. फिर भी पुलिस रंजीत को खोजने आ पहुंचती है. आखिर उसका क्या कसूर है. जैसे ही शोर-गुल मचा था कि वह घर छोड़ कर भाग गया था. दोनों बेटियां भी भाग गयी थी. यहां तो कोई था ही नहीं, तो फिर वह दोषी कैसे हो गया. हम त बेवा हैं, कहां जाये न्याय के लिए.

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