फोटो दीपक 40वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. गुणवत्ता व संख्या दोनों में आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का हिंदी में महत्वपूर्ण स्थान है. साधना व सृजन के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहे हैं. किसी भी वाद से प्रभावित नहीं होना व मौलिक बने रहना आचार्य श्री की बड़ी उपलब्धि है. यह हम सबका सौभाग्य है कि इतना बड़ा रचना कार हमारे बीच में था व आज भी उनके याद करके हम संस्कारित होते हैं. यह बातें डॉ संजय पंकज ने शनिवार को निराला निकेतन में आयोजित महावाणी स्मरण में कही. इसके बाद कवि गोष्ठी की शुरुआत हुई. डॉ विजय शंकर मिश्र ने एक मूर्ख औरत भी जानती पहचानती, आंसू संतोष की पूंजी है मानती सुना कर लोगों की तालियां बटोरी. मीनाक्षी मीनल ने नारी सशक्तीकरण पर कविता सुना कर लोगों को सोचने पर विवश कर दिया. पंखुरी सिन्हा ने ऐसा कैसे है कि हमारे सब हकों की चोरी हो गयी भी काफी सराही गयी. इस मौके पर वीरेंद्र कुमार वीरेन, राजमंगल पाठक, महेंद्र मधुप, राम तपन सिंह व हरिशंकर बलिदानी की कविताएं भी सराही गयी. इस मौके पर पं.नंदलाल मिश्र, ब्रजभूषण शर्मा, पुंज प्रकाश झा व विक्रम निषाद प्रमुख तौर पर मौजूद थे. धन्यवाद ज्ञापन जयमंगल मिश्र ने किया.
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साधना व सृजन के लिए स्मरणीय जानकीवल्लभ
फोटो दीपक 40वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. गुणवत्ता व संख्या दोनों में आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का हिंदी में महत्वपूर्ण स्थान है. साधना व सृजन के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहे हैं. किसी भी वाद से प्रभावित नहीं होना व मौलिक बने रहना आचार्य श्री की बड़ी उपलब्धि है. यह हम सबका सौभाग्य है कि इतना बड़ा रचना […]
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