गाय का चारा लगाने के लिए शहर के आसपास खरीदी गयी जमीन पर भू- माफिया ने पहले अपनी दावेदारी ठोंकी. बाद में जमीन का फर्जी कागजात बना कर खरीद-फरोख्त हुई. जमीन का कारोबार करने वाले कई सफेदपोश भी इसमें शामिल हैं. शहर के आसपास की जमीन की कीमत में आयी उछाल के बाद जमीन पर कब्जा करने के मामले में तेजी आयी. जमीन बेच कर भू माफिया मालामाल हुए. अधिकांश जमीन पर 10 वर्ष के अंदर कब्जा किया गया गया है.
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एक ही जमीन की दो बार जमाबंदी बनाकर गोलमाल
मुजफ्फरपुर: गोशाला की सौ एकड़ से अधिक जमीन के गोलमाल मामले में कई अंचलाधिकारी की गर्दन फंस सकती है. जानकारी के अनुसार, गोशाला की जमीन पर कब्जा तत्कालीन सीओ व कर्मचारी के मिलीभगत से हुआ. गाय का चारा लगाने के लिए शहर के आसपास खरीदी गयी जमीन पर भू- माफिया ने पहले अपनी दावेदारी ठोंकी. […]
मुजफ्फरपुर: गोशाला की सौ एकड़ से अधिक जमीन के गोलमाल मामले में कई अंचलाधिकारी की गर्दन फंस सकती है. जानकारी के अनुसार, गोशाला की जमीन पर कब्जा तत्कालीन सीओ व कर्मचारी के मिलीभगत से हुआ.
फर्जी नाम से रजिस्ट्री का खेल
एक ही जमीन की दो बार जमाबंदी बनायी गयी. अंचल के भगवतीपुर चंदवारा में गोशाला की (खेसरा संख्या 27) छह एकड़ 32 डिसमिल जमीन का फर्जी जमाबंदी बनाया गया. यही नहीं, अंचलाधिकारी ने दाखिल-खारिज भी कर दिया. भूमि सुधार उपसमाहर्ता पूर्वी के कोर्ट में वाद संख्या 55 / 12- 13 चल रहा है. हैरत की बात है कि एक ही जमीन की दो जमाबंदी कैसे बनायी गयी? नियमानुसार रजिस्टर टू से बिक्री की गयी जमीन को हटाने के बाद ही दूसरा जमाबंदी कायम होगा. लेकिन गोशाला की जितनी जमीन पर बीएलडीआर वाद चल रहा है, इसमें जमीन का गोशाला के नाम से भी जमाबंदी है. वहीं एक जमाबंदी फर्जी दस्तावेज पर बनाया गया है.
ऐसे हड़पी जाती सरकारी जमीन
खास महाल, गोशाला व भूदान की जमीन पर कब्जा करने वाला का एक गिरोह सक्रिय है. इस गिरोह को संरक्षण देने वाले के कई दबंग व सफेदपोश लोग हैं. जमीन पर कब्जा जमाने के बाद इसका फर्जी कागज तैयार करने का जुगाड़ होता है. इसके बाद जमीन को गिरोह के लोग अपने में से किसी आदमी के हाथ बेच देते है. फिर बेचने व खरीदने वाले एक दूसरे पर केस कर देते हैं. मामला कोर्ट में जाकर उलझ जाता है.
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