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आज देश को खुदीराम बोस की जरूरत

मुजफ्फरपुर : शहादत दिवस पर सैकड़ों लोगों ने अमर शहीद खुदीराम बोस को सलामी दी. रविवार की सुबह उनके 105 वें शहादत दिवस पर केंद्रीय कारा श्रद्धावत हो उठा. कारा परिसर स्थित शहीद खुदीराम बोस सेल व फांसी स्थल पर नमन करने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी थी. कई युवा सेल की दीवार […]

मुजफ्फरपुर : शहादत दिवस पर सैकड़ों लोगों ने अमर शहीद खुदीराम बोस को सलामी दी. रविवार की सुबह उनके 105 वें शहादत दिवस पर केंद्रीय कारा श्रद्धावत हो उठा. कारा परिसर स्थित शहीद खुदीराम बोस सेल फांसी स्थल पर नमन करने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी थी.

कई युवा सेल की दीवार फांसी स्थल के चबूतरा के स्पर्श मात्र से ही अपने को धन्य समझ रहे थे. केंद्रीय कारा को दुल्हन की तरह सजाया गया था. जेल के अंदर लोगों का जत्था सेल घर के पास पहुंचा, जिस सेल में अंगरेजों ने खुदीराम बोस को कैद कर रखा था. 3 : 55 मिनट पर लोग सेल से सीधे फांसी स्थल पर पहुंचे. दोनों ही स्थानों पर अधिकारियों अतिथियों ने शहीद खुदीराम बोस की तसवीर पर माल्यार्पण किया.

मौके पर आयुक्त केपी रमैया ने भी उन्हें पुष्प अर्पित किया. उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले इस महापुरुष का कर्ज कभी नहीं चुकाया जा सकता है. शहीदों से हमें सीख लेनी चाहिए. शहीदों के बताये रास्ते पर चल कर ही देश का भला हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर जनता चाहेगी तो राष्ट्रीय समारोह के लिये सरकार को लिखा जायेगा.

जिलाधिकारी अनुपम कुमार, डीआइजी अमृत राज, नगर विधायक सुरेश शर्मा, एसएसपी सौरभ कुमार, सिटी एसपी कुमार ऐकले ने भी विचार रखे. नगर विधायक सुरेश शर्मा ने कहा कि हमारे शहर के लिए यह गौरव की बात है कि यहां उनका शहादत दिवस मनाया जाता है. काराधीक्षक जितेंद्र कुमार, जेलर शमशेर सिंह कई अधिकारियों ने भी उनके चित्र पर माल्यार्पण किया.

बिहार बंगाली समिति के लोगों ने शहादत स्थल पर पहुंच कर माल्यार्पण किया. वहीं कंपनीबाग स्थित शहादत स्थल पर वरीय पदाधिकारियों ने खुदीराम बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया शहीदों को सलामी दी. मौके पर डीएम, डीआइजी, एसएसपी, अपर समाहर्ता, एसडीओ पूर्वी, एसडीओ पश्चिमी आदि मौजूद थे.

* दाह संस्कार स्थान उपेक्षित

क्रांति की मशाल जलाने वाले खुदीराम बोस को जहां फांसी दी गई थी. वह स्थल तो सुरक्षित है, लेकिन जहां उनका दाह संस्कार किया गया था, वह स्थान उपेक्षित है. रविवार की सुबह 3 : 55 मिनट पर सभी आला अधिकारियों ने जेल में उनके फांसी स्थल सेल में माल्यार्पण किया, लेकिन उनके दाह संस्कार स्थल पर एक बार भी जाने की जहमत नहीं उठायी.

आलम यह है कि आज उक्त स्थल शाम होते ही मयखाने में तब्दील हो जाता है. बुद्धिजीवी कहते हैं कि यहां शहीदों की चिता पर हर वर्ष मेले तो नहीं लगते, लेकिन हर दिन यहां जाम जरूर टकराये जाते हैं.

खुदीराम बोस का अंतिम संस्कार मुजफ्फरपुर जेल से करीब दो किमी दूर चंदवारा में किया गया था. आलम यह है कि वीरान पड़े इस स्थल पर शाम में खुलेआम शराब बेचे जाते हैं. मुजफ्फरपुर जेल की जिस कोठरी में खुदीराम बोस को रखा गया था. वह वर्ष में केवल एक दिन उनके शहादत दिवस के मौके पर ही खोला जाता है. वह भी रात को.

केंद्रीय कारा की जिस कोठरी में अंगरेजों ने खुदीराम बोस को रखा था, वह पूजनीय स्थल के रूप में सुरक्षित है. यह देश का धरोहर सम्मान है. इस कारण इस कोठरी में किसी अन्य कैदी को नहीं रखा जाता है. देश में अंगरेजों के खिलाफ क्रांति की लौ जलाने वाले खुदीराम बोस को 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दी गयी थी.

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