मुजफ्फरपुर: बालू कटाई से प्रति वर्ष मात्र 30 से 34 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. विभाग को ग्रामीण क्षेत्र में नदियों से होने वाले कटाव का हिसाब-किताब नहीं मिलता है. जिले में सिर्फ अखाड़ा घाट बूढ़ी गंडक नदी में बालू कटाई के लिए टेंडर किया जाता है. इसमें 21 लाख 10 हजार रुपये पूर्वी व 13 लाख रुपये नदी के पश्चिमी भाग से मिलता है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में सबसे अधिक मिट्टी कटाई होती है. मिट्टी का धंधा करने वाले लोग बे- रोक टोक नदियों की मिट्टी बेचते हैं.
नियम के खिलाफ मिट्टी कटाई
खनन विभाग के नियमों पर ताक पर नदियों के आस पास के इलाके में मिट्टी कटाई होती है. विभाग के बिना अनुमति के भी मनमाने ढंग से मिट्टी काटी जाती है. इसका प्रमाण सिकंदरपुर श्मशान घाट एवं दादर पुल के नीचे होने वाली बालू की कटाई है. नियमानुसार श्मशान, धार्मिक स्थलों एवं पुल-पुलिया की 50 मीटर परिधि में बालू की कटाई नहीं होनी है. लेकिन नियमों का पालन नहीं किया जाता है. इधर, विभाग से मिट्टी कटाई की गहराई का मानक तय नहीं होने से 10 फीट गहराई तक मिट्टी काट ली जाती है. इससे नदियों की गहराई असमान होती जा रही है.
बालू की मिलती है रॉयल्टी
मालूम हो कि खनन विभाग को कार्य विभाग पीएचइडी, आरइओ, पीडब्लयूडी, एनएचएआई से मिट्टी, बालू एवं गाड़ा की रॉयल्टी मिलती है. इसके अलावा जिले में चल रहे करीब 250 ईंट-भट्ठों से दो करोड़ रुपये राजस्व मिलता है. खनन विभाग को प्रति वर्ष 10 प्रतिशत राजस्व लक्ष्य में वृद्धि की जाती है.