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राम वन नहीं जाते तो रावण वध नहीं होता

हथौड़ी. कभी-कभी सामान्य रूप से अहित दिखने वाले निर्णय में भी मानव कल्याण की बात छुपी होती है. मां कैकयी द्वारा भगवान राम वनवास भेजने का निर्णय भी कुछ वैसी ही घटना है. उक्त बातें कफेन में आयोजित राम कथा के छठे दिन रविवार को साध्वी सांची ठाकुर ने कही. उन्होंने कहा कि महारानी कैकयी […]

हथौड़ी. कभी-कभी सामान्य रूप से अहित दिखने वाले निर्णय में भी मानव कल्याण की बात छुपी होती है. मां कैकयी द्वारा भगवान राम वनवास भेजने का निर्णय भी कुछ वैसी ही घटना है. उक्त बातें कफेन में आयोजित राम कथा के छठे दिन रविवार को साध्वी सांची ठाकुर ने कही. उन्होंने कहा कि महारानी कैकयी का निर्णय प्रथम दृष्टया भले ही भगवान राम के विरूद्ध लगा हो. लेकिन यदि भगवान राम वनवास नहीं जाते तो रावण का वध नहीं होता. साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम राम नहीं कहलाते. एक ओर जहां भगवान राम ने पिता के पुत्र वियोग की अनदेखी कर वन जाने के निर्णय पर अडिग रहते हैं. मंत्री सुमेद द्वारा गंगाघाट पर छोड़े जाने के बाद भक्त और भगवान के अद्भुत प्रेम का संवाद आज भी काफी रोचक है.

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