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प्रस्तावित कॉलेजों को मिली थी खुली छूट

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि प्रशासन भले ही इस बार सीनेट के निर्णय के आलोक में अंगीभूत एवं प्रस्तावित कॉलेजों में बीएड के नामांकन और फीस में एकरूपता लाने की कवायद शुरू कर दिया है. लेकिन यह निर्णय पिछले वर्ष भी हुआ था जिसे आज तक लागू नहीं किया जा सका. अब जब सवाल खड़ा हुआ […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि प्रशासन भले ही इस बार सीनेट के निर्णय के आलोक में अंगीभूत एवं प्रस्तावित कॉलेजों में बीएड के नामांकन और फीस में एकरूपता लाने की कवायद शुरू कर दिया है. लेकिन यह निर्णय पिछले वर्ष भी हुआ था जिसे आज तक लागू नहीं किया जा सका. अब जब सवाल खड़ा हुआ है तो इसे लागू करने की प्रतिबद्धता जतायी जा रही है.
कहते हैं अधिकारी
विवि के कुलानुशासक कहते हैं कि पूर्व की बैठक में केवल नामांकन संबंधी ही निर्णय हुआ था. लेकिन जो हुआ सो हुआ, अब ऐसा नहीं होगा. इस बार जो सीनेट में निर्णय लिया गया है, उसे हर हाल में लागू किया जायेगा. बीएड अभ्यर्थियों का कंबाइंड टेस्ट होगा और फीस एक समान ही रहेगा.
वहीं परीक्षा नियंत्रक डॉ पंकज कुमार कहते हैं कि नामांकन टेस्ट सेंटरलाइज्ड होगा. इसमें आरक्षण रोस्टर का भी पालन किया जायेगा. टेस्ट में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को कॉलेज डिस्ट्रीब्यूट किया जायेगा. वे कॉलेज या विवि में भी नामांकन ले सकेंगे.
सिर्फ अंगीभूत कॉलेजों में ही लागू
पिछली सीनेट में लिये गये निर्णय के आलोक में सिर्फ अंगीभूत कॉलेजों में ही नामांकन और फीस में एकरूपता लाया गया. वहीं प्रस्तावित कॉलेजों को खुली छूट दे दी गयी. नतीजतन मनमाना फीस लेकर छात्र-छात्रओं का नामांकन होता रहा. इसकी शिकायत भी विवि प्रशासन को मिली. मगर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. यह विवि प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है. आखिर जिस सीनेट में प्रस्तावित एवं अंगीभूत कॉलेजों के लिए एक समान निर्णय हुआ तो उसे केवल अंगीभूत कॉलेजों में ही क्यों लागू किया गया, यह यक्ष प्रश्न बन गया है.
दो दर्जन हैं बीएड कॉलेज
बीआरए बिहार विवि से संबद्ध करीब दो दर्जन बीएड कॉलेज संचालित हैं. इनमें अंगीभूत कॉलेजों को छोड़ कई कॉलेज तो नियम-कानून को ताख पर रख कर चलाये जा रहे हैं. संबद्धता लेने संबंधी न्यूनतम अर्हता भी वे पूरी नहीं करते, फिर भी बेरोकटोक चल रहे हैं. मजे की बात तो यह भी है कि विवि प्रशासन इन कॉलेजों को पहले तो संबद्धता प्रदान किया, बाद में उसका समय-समय पर निरीक्षण भी कराया जाता है. फिर भी अर्हता की बात नहीं दिखाई देती.

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