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अंधेरे में काम करने को विवश हैं रेलकर्मी

मुजफ्फरपुर: समस्तीपुर रेल मंडल में यात्रियों को बेहतर सेवा देने के लिए 24 मार्च 2013 को मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी रेलखंड को चालू किया गया. लेकिन, 22 माह बाद भी इस रेलखंड के अधिकांश रेलवे स्टेशन सुविधाओं से वंचित हैं. किसी स्टेशन पर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, तो किसी पर बैठने की. यहां तक कि […]

मुजफ्फरपुर: समस्तीपुर रेल मंडल में यात्रियों को बेहतर सेवा देने के लिए 24 मार्च 2013 को मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी रेलखंड को चालू किया गया. लेकिन, 22 माह बाद भी इस रेलखंड के अधिकांश रेलवे स्टेशन सुविधाओं से वंचित हैं. किसी स्टेशन पर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, तो किसी पर बैठने की. यहां तक कि कुछ स्टेशनों पर तो रात में अंधेरा रहता है. यात्री तो दूर, रेलवे के कर्मचारी को अंधेरे में काम करना पड़ता है. उन्हें नौकरी बचाने के लिए लैंप जला कर विभागीय काम करना पड़ता है.

कुछ ऐसी ही स्थिति है, मुजफ्फरपुर जंकशन से महज 15 मिनट की दूरी पर स्थित जुब्बा सहनी रेलवे स्टेशन की. इस स्टेशन पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इसकी चर्चा समस्तीपुर मंडल के सीनियर डीएसओ के निरीक्षण रिपोर्ट में भी है. सीनियर डीएसओ ने 17 दिसंबर 2014 को जुब्बा सहनी स्टेशन का निरीक्षण किया था. सूत्रों के अनुसार, उनकी रिपोर्ट में जुब्बा सहनी स्टेशन की दस कमियों को उजागर किया था. निरीक्षण के दो माह बाद भी इसमे कोई सुधार नहीं हुआ है. इस रिपोर्ट में उन्होंने बिजली की समस्या को भी उजागर किया था. लेकिन, अभी तक स्टेशन पर बिजली की समुचित व्यवस्था नहीं की गयी है.
स्टेशन मास्टर मनोज कुमार ने बताया कि अगस्त 2014 में रेलवे के कंस्ट्रक्शन विभाग ने दो दिनों के लिए बिजली चालू किया था. लेकिन, इसके बाद बिजली विभाग ने रेलवे के केबुल में गड़बड़ी बता कर लाइन काटा दी थी. इसके बाद से अभी तक स्टेशन पर बिजली नहीं मिली है. बिजली के अभाव में स्टेशन पर लगे सिगनल व परिचालन यंत्र डीजे से चलाया जाता है.
अधिकारी नहीं सुनते कर्मचारियों की शिकायत
जुब्बा सहनी रेलवे स्टेशन के एसएम का कहना है कि एक वर्ष पूर्व से ही सीनियर डीइइ को बिजली के बाबत लिखित शिकायत की गयी थी. साथ ही दर्जनों बार फोन पर इस बाबत शिकायत की गयी. लेकिन, इन शिकायतों के बावजूद अधिकारी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं. कर्मचारी अंधकार में काम करने को विवश हैं.
कभी नहीं जला बल्ब
यात्रियों के अनुसार, उन्होंने जुब्बा सहनी स्टेशन पर कभी भी बल्ब जलते नहीं देखा. रात में अंधेरा छाया रहता है. उन्होंने बताया कि स्टेशन पर ट्यूब लाइट, बल्ब पंखा सब कुछ लगा है, लेकिन यह जलता नहीं है. प्लेटफार्म एक व दो पर कुल मिलाकर 30 बिजली के खम्भे हैं. सभी में बल्ब भी लगे हैं. स्टेशन के मेन बिल्डिंग पर तीन वैपर लाइट लगा है. इसके अलावा परिसर में हाई मास्टर लाइट भी लगाया गया है, जो जुब्बा सहनी स्टेशन का दिन में शोभा बढ़ाता है.
तनाव में रहते हैं कर्मचारी
पूछताछ के दौरान जानकारी मिली कि इस स्टेशन पर दो शिफ्ट में काम किया जाता है. इसके लिए एसएम समेत कुल छह कर्मचारी कार्यरत हैं. सभी बारह-बारह घंटे के शिफ्ट में काम करते हैं. अगर किसी भी कर्मचारी को अवकाश पर जाना होता है, तो दूसरे कर्मचारी को चौबीस घंटे काम करना पड़ता है. इस वजह से कर्मचारी तनाव में रहते हैं. उनका कहना है कि इस वजह से स्टेशन पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

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