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न देख पाने वाले छात्र सुनकर करेंगे पढ़ाई

मुजफ्फरपुर: नेत्रहीन छात्र अब सुन कर भी अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे. उन्हें ब्रेल लिपि की किताबों से मुक्ति मिल जायेगी. उनके लिए अब ऑडियो बुक (बोलने वाली किताब) तैयार की जा रही है. यह किताब एक बेहतर विकल्प के रूप में साबित होगी. मुंबई विवि के बाद एलएस कॉलेज की प्राध्यापिका एवं शुभम विकलांग […]

मुजफ्फरपुर: नेत्रहीन छात्र अब सुन कर भी अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे. उन्हें ब्रेल लिपि की किताबों से मुक्ति मिल जायेगी. उनके लिए अब ऑडियो बुक (बोलने वाली किताब) तैयार की जा रही है. यह किताब एक बेहतर विकल्प के रूप में साबित होगी. मुंबई विवि के बाद एलएस कॉलेज की प्राध्यापिका एवं शुभम विकलांग संस्थान, भगवानपुर की संचालिका डॉ संगीता अग्रवाल ने हाल ही में स्नातक प्रतिष्ठा, नौवीं व दसवीं कक्षा के नेत्रहीन छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर सफल प्रयोग किया है.

राज्य सरकार भी ऐसी ऑडियो बुक बनाने में डॉ अग्रवाल को मदद करेगी. डॉ अग्रवाल फिलहाल पहली से स्नातक तक की 56 किताबों के निर्माण पर काम कर रही हैं. पहली से आठवीं कक्षा तक की किताबें भी मार्च तक तैयार हो जायेगी.

सामान्य छात्र भी ले सकेंगे लाभ
डॉ अग्रवाल ने इसे एक्सेसेबल बुक नाम दी हैं. यह सामान्य छात्र-छात्रओं के लिए भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इस योजना को गति प्रदान कर रही प्रोजेक्ट मैनेजर शालिनी झा बताती हैं कि ब्रेल लिपि की किताबें कम उपलब्ध है. सभी बच्चे इसे आसानी से समझ भी नहीं पाते. ऐसे में नॉर्मल टेक्स्ट बुक को ब्रेल लिपि की किताब भी बनायी जा रही है और ऑडियो बुक भी.
मदद का मिला आश्वासन
सक्षम ट्रस्ट, नयी दिल्ली के तत्वावधान में बिहार में इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए गत 27 जनवरी को शुभम विकलांग संस्थान ने पटना म्युजियम हॉल में ‘रीडिंग बिदाउट सीन’ विषयक सेमिनार किया. इसमें मौजूद शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन, सर्व शिक्षा अभियान के स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर अजीत कुमार साहा व बिहार टेक्स्ट बुक कॉर्पोरेशन के एमडी दिलीप कुमार ने इस तकनीक की प्रशंसा करते हुए हर संभव मदद का आश्वासन दिया.
मेरे जीवन की शुरुआत ब्रेल लिपि से हुई. मैंने पीएचडी तक की पढ़ाई की. ब्रेल लिपि में मैटेरियल का सदा अभाव रहा है. कक्षाओं में शिक्षक द्वारा पढ़ाये जाने वाले विषयों को ऑडियो कैसेट में रिकॉर्ड कर लेती थी और उसी को सुन कर पढ़ाई करती थी. रिसर्च जारी रहा. इसी क्रम में डेजी फोरम ऑफ इंडिया, नयी दिल्ली की प्रेरणा से यह मुश्किल कार्य करा रही हूं.
डॉ संगीता अग्रवाल
एसोसिएट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, एलएस कॉलेज

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