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जिला भूअजर्न पदाधिकारी की गाड़ी चलता था गौतम

मुजफ्फरपुर : कोर्ट में समर्पण के बाद शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारागार में बंद गौतम झा जिला भू अजर्न पदाधिकारी सतीश कुमार की अनुबंध की गाड़ी चलाता था. वे डीआरडीए के निदेशक भी हैं. घटना के दिन उसने ही एडीएम आपदा प्रबंधन के चालक जितेंद्र पासवान को झांसा देकर कमरे की चाबी ली थी, जिसमें […]

मुजफ्फरपुर : कोर्ट में समर्पण के बाद शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारागार में बंद गौतम झा जिला भू अजर्न पदाधिकारी सतीश कुमार की अनुबंध की गाड़ी चलाता था. वे डीआरडीए के निदेशक भी हैं.
घटना के दिन उसने ही एडीएम आपदा प्रबंधन के चालक जितेंद्र पासवान को झांसा देकर कमरे की चाबी ली थी, जिसमें नाबालिग के साथ गैंगरेप की घटना हुई. शुक्रवार को कोर्ट में समर्पण के बाद नगर पुलिस ने जितेंद्र से पूछताछ की, तो इस बात का खुलासा हुआ.
गौतम ही अक्सर वह नीली बत्ती गाड़ी लेकर जंकशन पर जाता था. वैशाली जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र के गोढ़िया गांव का रहनेवाला गौतम डेढ़ माह से जिला भूअजर्न पदाधिकारी की गाड़ी चला रहा था.
यह गाड़ी भी कलेक्ट्रेट को अनुबंध पर गाड़ी उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार अशोक शर्मा के माध्यम से आयी थी. गौतम व कोल्हुआ एकता नगर के रहनेवाले विकास तिवारी के बीच गहरी दोस्ती है. विकास की गाड़ी जंकशन से भाड़े पर चलती है. इसी दौरान गौतम का दीपक से परिचय हुआ था. जीतेंद्र ने पुलिस को बताया कि गौतम उसके साथ ही कुछ दिनों से आपात कालीन संचालन केंद्र के कमरे में रह रहा था.
छिपा रहा गौतम का राज . जिला भूअजर्न पदाधिकारी के चालक गौतम के गैंगरेप में शामिल होने की बात जानते हुए भी पूरे मामले को पांच दिन तक पुलिस व वरीय अधिकारियों से छिपा कर रखी गयी. यहीं नहीं, जिस गाड़ी को गौतम चलाता था, उसे भी कलेक्ट्रेट से गायब कर दिया गया.
जिला भू अजर्न व डीआरडीए के कर्मचारी भी पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए थे. जीतेंद्र के बयान के बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया गया है? प्रभात खबर ने पहले ही छापा था कि गौतम झा भी किसी अधिकारी की गाड़ी चलाता है, लेकिन उस समय ये साफ नहीं हो पाया था कि वो कौन सा अधिकारी है. उस समय अधिकारियों ने भी चुप्पी साध रखी थी.
आरोपितों की होगी टीआइ परेड
गैंगरेप के पांचवें आरोपित के सरेंडर करने के बाद पुलिस गौतम, विकास व जीतेंद्र को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी. इसके साथ ही सभी का पीड़िता के समक्ष टीआइ परेड होगा. पीड़िता के पहचान करने के बाद सभी के खिलाफ स्पीडी ट्रायल के तहत मुकदमा चलाने की अनुशंसा की जायेगी.
दामुचक मजिस्ट्रेट कॉलोनी में छिपकर रह रहा था जितेंद्र
मुजफ्फरपुर : गैंगरेप का आरोपित जीतेंद्र पासवान घटना के बाद दो दिनों तक दामूचौक मजिस्ट्रेट कॉलोनी में एक डिप्टी कलेक्टर के आवास में उनके चालक के साथ छिपा रहा था. उसे पुलिस की हर कार्रवाई की गतिविधि की जानकारी मिल रही थी.
हालांकि जीतेंद्र का कहना था, जिस अधिकारी के आवास में वह छिपा था, उन्हें उसके छिपने की सूचना नहीं थी. मामला बढ़ जाने पर उस अधिकारी के चालक ने साथ रखने से इनकार कर दिया था. उसके बाद वह पटना चला गया था. पटना में एक दिन रह कर वह किसी तरह अपने गांव बेगूसराय स्थित भरडीहा आ गया था. गांव आने के बाद स्थानीय मुखिया सुरेश पासवान से संपर्क किया. मुखिया ने बताया कि गांव में भी पुलिस आयी थी. उसके पिता व साला को पकड़ कर ले गयी है. जिसके बाद वह समर्पण को तैयार हो गया था.
मुखिया ने कराया समर्पण
उसके पंचायत के मुखिया ने उसे कोर्ट में समर्पण करने को कहा था. जीतेंद्र ने बताया कि वह गुरुवार को ही समर्पण कर देता, लेकिन किसी ने कहा कि थाने में समर्पण करने पर पुलिस कड़ाई से पेश आयेगी, जिसके बाद नगर पुलिस से संपर्क कर समर्पण की जानकारी दे दी गयी थी.
पिता व साले को पुलिस ने छोड़ा
कोर्ट में समर्पण करने के बाद जीतेंद्र के पिता लोचन पासवान व साला मनोज पासवान को नगर पुलिस ने पीआर बांड पर छोड़ दिया है. उसके गांव से भी मुखिया सुरेश पासवान सहित कई लोग थाने पहुंचे थे. उनका कहना था कि पुलिस जांच कर रही है. अगर जितेंद्र ने गलती की है, उसे सजा जरूर मिले.

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