मुजफ्फरपुर: सिकंदरपुर स्थित श्मशान घाट (मुक्ति धाम) के अस्तित्व पर ही संकट आ गया है. जिला प्रशासन अगर समय रहते श्मशान को सुरक्षित रखने के लिए सख्त निर्णय नहीं लेती है तो आने वाले दिनों में शहर से शमशान घाट का नामोनिशान मिट जायेगा. शवों की अंत्योष्टि के लिए लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ेगा.
यह स्थिति श्मशान घाट में धड़ल्ले से चल रहे अवैध खनन व नगर निगम द्बारा शहर का कचरा जमा करने से हुआ है. मिट्टी कटाई के कारण गड्ढे में बदल चुका यह इलाका अब शहर के गंदगी का मार ङोल रहा है. स्थिति यह हो गयी है कि कचरे के दरुगध से इसके आसपास रुकना मुश्किल हो गया है.
हैरानी वाली बात यह है कि जहां एक ओर नदी को स्वच्छ बनाने के लिए देश स्तर पर कार्ययोजना बनायी जा रही है, वहीं दूसरी ओर नगर निगम नदी में शहर का कचरा फेंक रहा है. बरसात व बाढ़ के समय यह कचरा नदी में बह कर चला जायेगा. इससे कितना नुकसान हो सकता है, इसे समझा जा सकता है. प्रतिदिन शहर का 20 ट्रैक्टर कचरा नदी की पेटी (श्मशान घाट) वाली जमीन मे फेंका जा रहा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में क्या स्थिति हो सकती है.
9.5 एकड़ में फैला है श्मशान घाट.
सिकंदरपुर सीढ़ी घाट से लेकर गांधी पुस्तकालय के पीछे होते हुए आगे तक नगर निगम की जमीन है, जो श्मशान घाट के काम में आता है. लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण आधा से अधिक भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. जमीन को कब्जे में लेकर खेतीबारी से लेकर मिट्टी कटाई का काम हमेशा चलता रहता है. अब तो बांध के बगल से भी मिट्टी काटी जा रही है जो बांध की सुरक्षा में सेंध है.