मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के भौतिकी विभाग में चल रहे इलेक्ट्रॉनिक्स कोर्स पर फिलहाल संकट के बादल छाये हैं. विगत चौबीस सालों से यह फैकल्टी ऑफ साइंस के तहत मास्टर डिग्री के रू प में संचालित हो रहा है. लेकिन गत माह राजभवन ने सत्र 2014-15 से पीजी में जो सेमेस्टर सिस्टम के रेगुलेशन को मंजूरी दी है, उसमें यह शामिल नहीं है.
विवि प्रशासन ने इस मामले में राजभवन को पत्र लिख कर इलेक्ट्रॉनिक्स को फैकल्टी ऑफ साइंस में शामिल करने की अपील करने का फैसला लिया है. इसके लिए फैकल्टी ऑफ साइंस के डीन डॉ वीके सहाय ने सीसीडीसी को प्रस्ताव सौंप दिया है. दो जनवरी को विवि खुलने के बाद संबंधित प्रस्ताव राजभवन को भेजा जायेगा.
केंद्र की पहल पर शुरू हुआ था कोर्स : वर्ष 1990 में केंद्र सरकार ने शोध कौशल विकास के उद्देश्य पूरे देश में छह राज्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स में पीजी कोर्स शुरू करने का फैसला लिया था. उस समय एलपी शाही केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री थे. उनकी पहल पर बीआरए विवि में भी इस कोर्स को शुरू करने की अनुमति मिली. यूजीसी ने करीब पांच लाख रुपये लैब, लाइब्रेरी आदि के लिए विवि को उपलब्ध कराये थे. 1995 में राज्य सरकार ने इसकी जवाबदेही लेने की घोषणा की.
विभाग में एक भी शिक्षक नहीं
कोर्स संचालन के लिए शिक्षकों के छह पद सृजित किये गये. इसमें एक प्रोफेसर, दो रीडर व तीन लेक्चरर के पद शामिल हैं. छह शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पद भी सृजित हैं. लेकिन हाल यह है कि फिलहाल विभाग के पास अपना कोई शिक्षक नहीं है. डॉ राज किशोर प्रसाद सिंह विभाग के आखिरी शिक्षक थे, जो बाद में बीएन कॉलेज पटना के प्राचार्य बन गये. तब से भौतिकी विभाग के शिक्षकों व रिसोर्स पर्सन के माध्यम से इस कोर्स का संचालन किया जा रहा है. हालांकि बीपीएससी ने असिसटेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए जो विज्ञापन जारी किया है, उसमें चार पद इलेक्ट्रॉनिक्स के भी हैं.
विवि की लापरवाही से नहीं बनी बिल्डिंग
1990 में ही कोर्स को मंजूरी मिलने के साथ ही यूजीसी ने विवि को 20 लाख रुपये बिल्डिंग निर्माण के लिए उपलब्ध करा दी थी. कई वर्षो तक खाते में राशि पड़े रहने के बावजूद विवि प्रशासन नयी बिल्डिंग का निर्माण नहीं करा सका. बाद में यह राशि लैप्स हो गयी. ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के बिल्डिंग निर्माण के लिए यूजीसी ने दुबारा विवि को 25 लाख रुपये उपलब्ध कराये. फिलहाल इस दिशा में कोई पहल शुरू नहीं हुई है.
1990 में केंद्र सरकार ने छह जगह इलेक्ट्रॉनिक्स कोर्स शुरू करने का फैसला लिया था. इनमें बीआरए बिहार विवि भी शामिल था. इस कोर्स को एमएससी इन साइंस के रू प में मान्यता दी गयी थी. राज्य सरकार ने भी 1995 में इसकी जवाबदेही लेने की बात कही थी. राजभवन ने पिछले दिनों पीजी के जिस नये रेगुलेशन को मंजूरी दी है, उसमें भूलवश इलेक्ट्रॉनिक्स छूट गया है. विवि की ओर से इसे शामिल करने की अपील की जायेगी. इसके लिए राजभवन को कोर्स शुरू होने से संबंधित संचिका भी उपलब्ध करायी जायेगी.
डॉ तारण राय, सीसीडीसी