* निदेशक व नगर थाना में की शिकायत
* साक्षरता कार्यालय में बनी अराजक स्थिति
मुजफ्फरपुर : साक्षरता कार्यालय में अराजक स्थिति बन गयी है. कर्मचारियों में दो गुट बन गया है. कई बार कर्मचारियों में बहस व तनातनी की स्थिति बन चुकी है. हत्या की धमकी की शिकायत भी थाने में की गयी है.
धिकांश कर्मचारी विभागीय काम के बदले अन्य कार्य में व्यस्त रहते हैं. कभी–कभी कार्यालय में कुछ लोग दिख जाते हैं. शेष दिन अन्य कार्यो में व्यस्त रहते हैं. बताया जाता है कि एक गुट में मुख्य समन्वयक व डीपीओ तो दूसरे गुट में जिला कार्यक्रम समन्वयक व अन्य लोग शामिल हैं. साक्षरता कार्यालय में गुटबंदी के कारण कामकाज प्रभावित हो रहा है. निरक्षरता मिटाने के बजाये लोग विवाद में उलङो हुए हैं.
अराजक स्थिति होने के बाद जिला कार्यक्रम समन्वयक वीरेंद्र पासवान ने कई लोगों को आरोपित करते हुए जन शिक्षा निदेशक व थानाध्यक्ष (अनुसूचित जाति जन जाति) को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है. निदेशक को भेजे गये पत्र के अनुसार, जिला लोक शिक्षा समिति कार्यालय में मुख्य समन्वयक सह सचिव कार्यालय कभी नहीं आती हैं. इसे विभाग के सभी अधिकारी जान रहे हैं.
कार्यालय छुट्टियों के दिन भी अक्सर खुले रहते हैं. जबकि अन्य दिन कोई भी लोग मुश्किल से दिख पाते हैं. कभी–कभी कार्यालय सिर्फ लेन–देन व चेक काटने के लिए ही खुलता है. आठ जुलाई को कार्यालय खुला. यहां मुख्य समन्वयक के एक रिश्तेदार, लेखा समन्वयक, एक कंप्यूटर एजेंसी के प्रोपराइटर साक्षरता कार्यालय में मौजूद थे. इसी बीच डीपीओ आरसी मंडल शाम पांच बजे साक्षरता कार्यालय पहुंचे.
आरसी मंडल के कार्यालय पहुंचने पर जिला कार्यक्रम समन्वयक ने मुख्य समन्वयक के कार्यालय में कभी नहीं आने की शिकायत की. आरोप है कि कुछ लोगों ने जान मारने की धमकी दी है. यहां तक कि उन्हें हाजिरी भी नहीं बनाने दी जा रही है. कार्यालय की चाबी भी गायब रहती है.
डीपीसी ने जन शिक्षा के निदेशक से कार्रवाई की मांग की है. डीपीसी वीरेंद्र पासवान का कहना है कि विभाग बिचौलियों के आगे झूक गया है. अगर व्यवस्था सुधार करने में विभाग कमजोर है तो मुङो इन कार्यो से पदमुक्त कर दिया जाये. इधर, डीपीओ रामचंद्र मंडल ने कहा है कि सब कुछ ठीकठाक हो गया है. विवाद के समय हम नहीं थे. इस संबंध में आगे कुछ नहीं बता सकते.