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गीता में जीवन जीन ेकी कला

फोटो :: माधव 18 व 19मुजफ्फरपुर. कन्हौली बावन बीघा में पवन प्रज्ञा पुराण कथा एवं गायत्री महायज्ञ के सायं कालीन सत्र में कथा वाचक धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि गायत्री एवं गीता का एक-दूसरे से अन्योन्याश्रय संबंध है. भारतीय संस्कृति को जागृत एवं जीवंत बनाने के लिए गायत्री उपासना एवं गीता में वर्णित जीवन जीने […]

फोटो :: माधव 18 व 19मुजफ्फरपुर. कन्हौली बावन बीघा में पवन प्रज्ञा पुराण कथा एवं गायत्री महायज्ञ के सायं कालीन सत्र में कथा वाचक धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि गायत्री एवं गीता का एक-दूसरे से अन्योन्याश्रय संबंध है. भारतीय संस्कृति को जागृत एवं जीवंत बनाने के लिए गायत्री उपासना एवं गीता में वर्णित जीवन जीने की कला का अध्ययन जरूरी है. महायज्ञ में गुरुवार की सुबह योग व्यायाम के महत्व पर योगाचार्य डॉ प्रदीप झा ने प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि स्थूल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पवन मुक्तासन सभी अंगो का करना चाहिए. साथ ही अंत: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्राणायाम एवं ध्यान करना चाहिए. कार्यक्रम के दूसरे चरण में हवन यज्ञ कराया गया. इसमें करीब पांच सौ लोगों ने भाग लिया. इस दौरान आचार्य ने कहा कि हवन यज्ञ एक विज्ञान है. इसके करने से पर्यावरण एवं व्यक्तित्व परिष्कार होता है. कार्यक्रम को सफल बनाने में शारदा देवी, सारिका कुमारी, ललन कुमार, सत्यनारायण मिश्र, राम विनय ठाकुर, अर्जुन लाल, कृष्णकांत वर्मा, लक्ष्मीकांत सिंह आदि अहम भूमिका निभा रहे हैं.

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