24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आचार्यों ने अलग-अलग दृष्टि से की काव्य की विवेचना

– विवि संस्कृत विभाग में संगोष्ठीमुजफ्फरपुर.भामह से लेकर आज तक के काव्यशास्त्री आचार्यों ने काव्य लक्षण पर अपनी दृष्टि से अपना मत प्रस्तुत किया. किसी ने काव्य के शरीर पर ही विचार किया तो किसी ने अलंकृत काव्य शरीर की. कुछ आचार्यों ने काव्य शरीर के आत्म तत्व का अनुसंधान किया है. इसके आधार पर […]

– विवि संस्कृत विभाग में संगोष्ठीमुजफ्फरपुर.भामह से लेकर आज तक के काव्यशास्त्री आचार्यों ने काव्य लक्षण पर अपनी दृष्टि से अपना मत प्रस्तुत किया. किसी ने काव्य के शरीर पर ही विचार किया तो किसी ने अलंकृत काव्य शरीर की. कुछ आचार्यों ने काव्य शरीर के आत्म तत्व का अनुसंधान किया है. इसके आधार पर काव्य के छह संप्रदाय प्रकाश में आये, जिन्हें हम रस, अलंकार, ध्वनि, रीति, वकोक्ति और औचित्य के नाम से जानते हैं. यह बातें तिलका मांझी विवि के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष आचार्य (प्रो) तुलाकृष्ण झा ने कही. वे बुधवार को विवि संस्कृत विभाग के पुस्ताकलय में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो इंद्रनाथ झा ने की. मौके पर प्रो सतीश चंद्र झा, डॉ मनोज कुमार, प्रो अमरेंद्र ठाकुर, प्रो श्रीप्रकाश पांडेय, प्रो निभा शर्मा, प्रो रामेश्वर राय भी मौजूद थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें