मुजफ्फरपुर: एइएस की रोकथाम के लिए प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार तक ने हो-हल्ला है. देश ही नहीं विदेशों से इस बीमारी की पहचान और बचाव के लिए डॉक्टरों की टीम मुजफ्फरपुर का दौरा कर चुकी है. लेकिन जमीनी स्तर पर जो काम हो रहा है.
वह सवालों के घेरे में है. बीमारी से बचाव के लिए हुए बैठकों में कई फैसले लिये गये थे. जिले भर के गांवों में ओरआरएस के पैकेट का वितरण भी था. इसके लिए 67 लाख रुपये के एक लाख पैकेट की खरीद हुई. इसका वितरण गांवों में होना था लेकिन बीमारी समाप्त के बाद भी ओरआरएस के वितरण के हालत दयनीय है.
अभी तक 30 हजार पैकेटों का वितरण ही हो सका है. ताज्जुब की बात यह है कि जब बीमारी का प्रकोप जिले में था तब ओरआरएस का केवल चार हजार पैकेट बांटे गये, 27 हजार पैकेट बाद में बंटे. अभी भी 68 हजार पैकेट का वितरण होना बाकी है.
यह सरकारी आंकड़ा है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि औराई, बंदरा, मड़वन व सकरा प्रखंड के गांवों में एक भी पैकेट ओआरएस का वितरण नहीं हुआ. कई गांवों में केवल खानापूर्ति हुई. एक गांव में केवल 15 पैकेट ओआरएस बंटा.स्वास्थ्य विभाग की सूत्रों की मानें तो किसी भी गांव में हर घर में ओआरएस का पैकेट नहीं दिया गया.
कई ने नहीं बांटा ओआरएस : एइएस बीमारी की शुरुआत से पूर्व इससे बचाव के लिए घर-घर जाकर ओआरएस के पैकेट बांटने में कई पीएचसी उदासीन रहे. बीमारी की समाप्ति तक सैकड़ों गांवों में ओआरएस का वितरण नहीं हुआ. औराई, बंदरा, गायघाट, मड़वन, मोतीपुर, पारू, साहेबगंज व सकरा में 14 जून तक एक भी ओआरएस पैकेट का वितरण नहीं हुआ.