मुजफ्फरपुर: एलएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ अमरेंद्र नारायण यादव ने कहा, नैक मूल्यांकन के बाद कॉलेज ने ग्रेड ‘ए’ हासिल किया है. यह गौरव की बात है. कॉलेज का स्वर्णिम इतिहास ने आधारभूत भूमिका में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इस कार्य में नैक के को-ऑर्डिनेटर डॉ भोजनंदन प्रसाद सिंह व उनके द्वारा गठित समितियों के शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मी व छात्रों को अहम भूमिका रही. डॉ यादव शुक्रवार को कॉलेज स्थित अपने कक्ष में प्रेस का संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, यूजीसी के माध्यम से शिक्षकों को 18 माइनर व चार रिसर्च प्रोजेक्ट दिलवाया, दो मेजर प्रोजेक्ट का आवेदन डलवाया. पूरे कॉलेज को आइसीटी ओरिएंटेशन क्लासेस के लिए भूमिका तैयार की. लाइब्रेरी को इनकिलिबनेट व डेलनेट से जोड़ा गया. कौशल विकास के लिए दो-दो लैंग्वेज लैब की स्थापना की.
बीएमसी में मीडिया लैब की सुविधा दी गयी. कॉलेज व कॉलेज के आसपास क्षेत्रों के दृष्टिहीन बच्चों के लिए एलएससी साइट केंद्र की व्यवस्था की. ताकि वे आसानी से अपनी जिंदगी में बेहतर उपलब्धि हासिल कर सके. खेल कूद व सांस्कृतिक क्षेत्रों कॉलेज ने बेहतर किया. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी यहां काफी कार्य हुए. इन सारे क्षेत्रों में हुए काम को आधार बनाकर नैक की पीयर टीम ने यह दर्जा प्रदान किया है.
ए ग्रेड मिलन के बाद कॉलेज के बेहतर विकास व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मार्ग प्रशस्त हो गया है. अब इस कॉलेज को यूजीसी से पूरी आर्थिक सहायता मिलेगी. कॉलेज के आधारभूत संरचना में व्यापक सुधार होगा. शिक्षक अपने छात्र -छात्रओं को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दे सकेंगे. जिससे कॉलेज की और अधिक गरिमा बढ़ेगी.
कॉलेज ने इसके साथ ही आगे की योजना भी तैयार किया है. इस संस्थान को कॉलेज विद पोटेंशियल एक्सेलेंस (सीपीइ ) कराया जायेगा. यह ए ग्रेड के बाद की आगे सुधार की पहली सीढ़ी होगी. इसके बाद इसे ऑटोनॉमस कॉलेज का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास किया जायेगा. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा संस्थान की योजना है कि यह कॉलेज सीपीइ व ऑटोनॉमस शिक्षा संस्थान का दर्जा प्राप्त कर लेगा. फिर, यह कॉलेज विश्वविद्यालय में तब्दील हो जायेगा. इससे कॉलेज की गरिमा और बढ़ेगी. इसके लिए कॉलेज में आइटीसी की सुविधा को और बेहतर किया जायेगा. लाइब्रेरी का पूर्ण रू प से डिजिटलाइजेशन करना है. कॉलेज में शोध की गुणवत्ता पर और अधिक ध्यान देना है. इस शोध की ग्लोबल मार्केट में पेटेंट करा सके.