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नामांकन ही है सफलता की गारंटी!

मुजफ्फरपुर: किसी भी परीक्षा में सफलता के लिए शैक्षणिक योग्यता को पैमाना माना जाता है. पर जिले में कुछ ऐसे शिक्षण संस्थान भी मौजूद हैं, जहां नामांकन ही सफलता की गारंटी मानी जाती है. हम बात कर रहे हैं बीआरए बिहार विवि के संबद्ध डिग्री कॉलेजों की. सफलता की इस गारंटी का जिले के छात्र-छात्रएं […]

मुजफ्फरपुर: किसी भी परीक्षा में सफलता के लिए शैक्षणिक योग्यता को पैमाना माना जाता है. पर जिले में कुछ ऐसे शिक्षण संस्थान भी मौजूद हैं, जहां नामांकन ही सफलता की गारंटी मानी जाती है. हम बात कर रहे हैं बीआरए बिहार विवि के संबद्ध डिग्री कॉलेजों की. सफलता की इस गारंटी का जिले के छात्र-छात्रएं भी खूब फायदा उठा रहे हैं.

यही कारण है कि स्नातक पार्ट वन में जहां अधिकांश अंगीभूत कॉलेजों में नामांकन के लिए सीटें खाली रह जाती है, वहीं संबद्ध डिग्री कॉलेजों में सुविधा के अभावों के बावजूद निर्धारित सीटें भी कम पड़ जाती है. एक तरफ अंगीभूत कॉलेज नामांकन के समय सीट खाली रहने की दुहाई देते हुए बार-बार नामांकन की तिथि बढ़ाने की मांग करते हैं, वहीं डिग्री कॉलेज सीटें बढ़ाने की. सबसे दिलचस्प बात यह है कि एक ही विवि के अंग होने के बावजूद अंगीभूत कॉलेजों में नामांकन की तिथि विवि प्रशासन तय करती है, जबकि संबद्ध डिग्री कॉलेज इसके लिए खुद स्वतंत्र होते हैं.

नामांकन को मेधा सूची नहीं
विवि के अंगीभूत कॉलेजों में स्नातक पार्ट वन के लिए जो कट ऑफ मार्क जारी किये जाते हैं वे काफी ज्यादा होते हैं. ऐसे में इन कॉलेजों में नामांकन, छात्र-छात्राओं के मेधावी होने की गारंटी होती है. वहीं इसके उलट संबद्ध डिग्री कॉलेजों में कट ऑफ मार्क जारी नहीं होती, बल्कि इंटर पास होना ही नामांकन की गारंटी है. इसके बावजूद कई ऐसे संबद्ध डिग्री कॉलेज हैं, जिनके रिजल्ट अंगीभूत कॉलेजों से भी बेहतर होते हैं. ऐसे में छात्रों का रुझान संबद्ध कॉलेजों की ओर लगातार बढ़ रहा है. इसे रोकने के लिए अब अधिकांश अंगीभूत कॉलेजों में भी सीधे नामांकन की परंपरा शुरू हो चुकी है.

अनुदान का ‘खेल’ तो नहीं
संबद्ध डिग्री कॉलेजों को राज्य सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है. इसके लिए परीक्षाओं में छात्रों के प्रदर्शन को आधार माना जाता है. पिछले दिनों राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने डिग्री कॉलेजों को दिये जाने वाले अनुदान में ‘खेल’ की आशंका जतायी थी. उसका मानना था कि कई कॉलेज अधिक अनुदान पाने के लिए जानबूझ कर विभाग को गलत आंकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं. इसको लेकर उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक ने विवि को पत्र लिख कर सभी संबद्ध डिग्री कॉलेजों से वर्ष 2007 से 2010 तक कॉलेजों में नामांकित छात्रों, शिक्षकों की संख्या, विभिन्न परीक्षाओं में छात्र-छात्रओं के प्रदर्शन का ब्योरा मांगा था. इसके लिए विवि को एक माह का समय दिया गया था. पर डिग्री कॉलेजों की ओर से समय पर ब्योरा उपलब्ध नहीं कराने के कारण उसे अब विभाग को अब तक नहीं भेजा जा सका है.

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