मुजफ्फरपुर: नोट फॉर वोट मामले में सौंपे गये प्रगति रिपोर्ट में अनुसंधानकर्ता ने बिजेंद्र चौधरी के नगर निगम में हमेशा बैठने व बैठक करने को भी साक्ष्य माना है. रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विजेंद्र चौधरी की कई तस्वीरें नगर निगम में मेयर, उपमेयर व नगर आयुक्त के साथ विचार विमर्श करते हुए है. जो तस्वीरें निगरानी विभाग को उपलब्ध हुआ है उससे यह स्पष्ट लग रहा है कि मेयर विमला देवी तुलस्यान के कार्यकाल में विजेंद्र चौधरी का नगर निगम में पूर्ण वर्चस्व रहा है. तस्वीरों में विजेंद्र चौधरी कार्यालय में व उसके बाहर मेयर व कई पार्षदों के साथ बैठक करते हुए व योजनाओं का निरीक्षण करते हुए पाये गये हैं.
तस्वीरों में विजेंद्र चौधरी की भाव भंगिमाओं से वे प्रमुख की भूमिका में प्रतीत होते हैं. वर्तमान मेयर के कार्यकाल से संबंधित भी कई तस्वीरे उपलब्ध है. जिसमें श्री चौधरी वर्तमान मेयर के कार्यकाल में भी मेयर वर्षा सिंह के साथ नगर निगम की बैठक में बगल में बैठ कर कार्यवाही में हिस्सा लेते हुए व योजनाओं का निरीक्षण करते हुए पाये गये हैं. सभी फोटोग्राफ से विजेंद्र चौधरी के नगर निगम के क्रियाकलाप में स्पष्ट हस्तक्षेप का पता चलता है.
साक्षियों को दिये गये प्रलोभन
रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि विजेंद्र चौधरी व अन्य पार्षदों के विरुद्ध दर्ज मुकदमे में साक्षियों को साक्ष्य नहीं देने के लिए धमकी व प्रलोभन भी दिये गये हैं, जो साक्षियों के बयान व अनुसंधानकर्ता के समक्ष धारा 164 के बयान में बताया गया है. जिसको लेकर साक्षीगण अभियुक्त पक्ष से काफी दबाव में पाये गये हैं. इस क्रम में परिवारी सुधीर कुमार ओझा ने भी विजेंद्र चौधरी के विरुद्ध मुकदमा वापसी हेतु जान से मारने की धमकी दिये जाने को लेकर नगर थाना में कांड संख्या 5613 दर्ज कराया था. साक्षी सुरेश कुमार ने भी मिठनपुरा थाने में धारा 384, 387 के तहत कांड संख्या 3813 दर्ज कराया था. सुधीर ओझा के आवेदन पत्र के आधार पर सदर थाना में भी कांड संख्या 9013, धारा 279 व 387 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
पुतला दहन पर भी नजर
रिपोर्ट में विजेद्र चौधरी की ओर से 1 मार्च, 13 से 2 अप्रैल 13 तक परिवादी व गवाहों के विरुद्ध नुक्कड़ सभा, पुतला दहन व बाजार बंद किया गया, जिसमें बताया गया है कि इस कार्यक्रमों में अभियुक्तों के ही भाग लेने व आम जनता की सहभागिता नहीं होने की बात पायी गयी है. इस मामले में परिवादी व कुछ गवाहों ने यह भी बताया कि विजेंद्र चौधरी व आरोपित पार्षदों का यह कार्यक्रम न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध परिवादी व गवाहों पर दबाव बना कर अनुसंधान प्रक्रिया को बाधित करने के उद्देश्य से किया गया है.