मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में विवादित कॉपी खरीद मामले को नियमानुकूल बनाने की कवायद में विवि प्रशासन सेल व परचेज कमेटी की बैठक बुलाने की तैयारी में है. इसमें स्नातक पार्ट वन के 95 हजार छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए एजेंसी को 40 प्रतिशत राशि भुगतान का निर्णय लिया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या परीक्षा विभाग के पास इतनी राशि है कि एजेंसी को भुगतान किया जा सके.
मंगलवार को सीनेटर हरेंद्र कुमार ने कुलपति डॉ रवि वर्मा से मुलाकात कर यह मामला उठाया. साथ ही परीक्षा विभाग की ऑडिट कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि कॉपियों व टीआर के भुगतान के लिए परीक्षा विभाग को ढाई से तीन करोड़ रुपये की जरूरत होगी. पर शायद इतनी राशि परीक्षा विभाग के पास फिलहाल उपलब्ध नहीं है.
ऐसे में यदि भुगतान का निर्णय लिया जाता है तो इसके लिए राशि कहां से आयेगी! क्या इसके लिए विवि के दूसरे मद से राशि खर्च की जायेगी? यदि ऐसा होता है तो कॉलेज फंड की राशि को शिक्षकों के वेतन मद में खर्च कर विवादों में फंसा विवि एक बार फिर सवालों के घेरे में नहीं आयेगा? कुलपति ने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है.
छात्र हित की बात छलावा
सीनेटर हरेंद्र कुमार व जदयू नेता महंत राजीव दास ने स्नातक पार्ट वन के छात्रों के हितों के नाम पर कॉपी भुगतान के प्रयास को छलावा बताया.
उन्होंने कहा कि विवि के अधिकारी यह भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि यदि एजेंसी को भुगतान नहीं होगा तो छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा. पर ऐसी कोई बात नहीं है. विवि चाहे तो वेबसाइट पर लोड किये गये स्नातक पार्ट वन के रिजल्ट की सीडी से छात्रों की मार्कशीट तैयार कर सकता है. उन्होंने विवि प्रशासन से भुगतान से पूर्व विवि के नोट शीट पर हुई अनुबंध की कॉपी सामने लाने की मांग की.