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दुविधा : भटके बच्चे को कहां मिलेगी पनाह

मुजफ्फरपुर: अपने से जुदा होकर राह से भटके बच्चों को उसके घर तक पहुंचाने के लिए पहल भले ही शुरू हो गयी, लेकिन इन्हें पनाह देने के लिए बन कर तैयार आश्रय गृह संचालित नहीं हो सका है. ऐसे बच्चों को अधिक दिनों तक रखने के लिए चाइल्ड लाइन भी कन्नी काट रहे हैं. इसके […]

मुजफ्फरपुर: अपने से जुदा होकर राह से भटके बच्चों को उसके घर तक पहुंचाने के लिए पहल भले ही शुरू हो गयी, लेकिन इन्हें पनाह देने के लिए बन कर तैयार आश्रय गृह संचालित नहीं हो सका है. ऐसे बच्चों को अधिक दिनों तक रखने के लिए चाइल्ड लाइन भी कन्नी काट रहे हैं. इसके कारण जिला बाल कल्याण समिति दुविधा में पड़ जाती है.

चाइल्ड लाइन निर्देश मझौलिया के समन्वयक उदय शंकर शर्मा ने बताया कि भटके बच्चों को विशेष परिस्थिति 48 घंटे तक ही रखना है, लेकिन यहां अधिक समय तक रखने के लिए दबाव दिया जाता है. बाल गृह बन कर तैयार है, लेकिन उसे चालू नहीं किया गया है. कभी-कभी तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि दस से बारह बच्चे हो जाते हैं. इन्हें रखने में चाइल्ड लाइन को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

बताया जाता है कि सिकंदरपुर स्थित पावर स्टेशन के समीप रिमांड होम व बाल गृह एक साथ बनाया गया. रिमांड होम में तो बच्चे रह रहे हैं, लेकिन अब तक बाल गृह को संचालित नहीं किया गया. इसके कारण आये दिन भटके बच्चों को पनाह देने के लिए जिला बाल कल्याण समिति में चाइल्ड लाइन से बहस शुरू हो जाती है.

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