मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में लिये गये फैसलों की शायद कोई अहमियत नहीं होती. यही कारण है कि कर्मचारी से लेकर अधिकारी व कॉलेज प्रबंधन तक उनके आदेशों की अवहेलना करते रहते हैं.
और करें भी क्यों ना, जब कार्रवाई का कोई भय ही न हो! विवि प्रबंधन फैसले की कॉपी संबंधित लोगों को भेज कर अपनी इति समझ लेता है. परीक्षा से संबंधित मामलों में भी कुछ ऐसा ही होता है, जो बाद में सत्र में देरी का कारण बन जाता है.
विवि की परीक्षाओं मे ंशामिल होने के लिए छात्र-छात्राएं कॉलेज में परीक्षा फॉर्म भरते हैं. प्रावधानों के अनुसार छात्रों द्वारा भरे गये फॉर्म को कॉलेज के परीक्षा विभाग के कर्मी जांच करते हैं. बाद में उसकी जांच खुद प्राचार्य करते हैं और सही पाये जाने पर फॉर्म पर हस्ताक्षर भी करते हैं. लेकिन कॉलेज में शायद ही इस नियम का पालन होता है. इसके कारण फॉर्म में तमाम प्रकार की त्रुटियां रह जाती है, जो बाद में पेंडिंग रिजल्ट का कारण बनता है.
परीक्षा विभाग की आपत्ति के बाद इस वर्ष मामला परीक्षा बोर्ड में भी गया. वहां फैसला लिया गया कि प्राचार्य को हर हाल में परीक्षा फॉर्म की जांच करनी होगी. साथ ही परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों के नाम, पता, पंजीयन संख्या की सूची बना कर उसकी हार्ड व सॉफ्ट कॉपी परीक्षा विभाग को उपलब्ध करायेंगे. ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. बावजूद पिछले दिनों भरे गये स्नातक पार्ट वन व टू के परीक्षा फॉर्म में काफी त्रुटियां पायी गयी. कई फॉर्म तो बिना पंजीयन संख्या के ही भेज दिये गये. परीक्षा विभाग ने ऐसे फॉर्म की कॉलेजवार सूची भी तैयार की, लेकिन दोषी व्यक्ति पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. कई बार तो तमाम त्रुटियों के बावजूद विवि परीक्षा विभाग भी उसे पास कर देती है.