मुजफ्फरपुर: सेल्फ असेसमेंट के बाद भी नगर-निगम में होल्डिंग टैक्स निर्धारण में भारी अनियमितता हुई है. वार्ड तहसीलदार होल्डिंग स्वामी से मिलीभगत कर कॉमर्शियल को आवासीय में तब्दील कर दिया है. वहीं प्रधान सड़क में बने मकान को मुख्य व गली का सड़क दिखा नगर निगम को लाखों रुपये की चपत लगायी है. यह सारा खेल तत्कालीन नगर आयुक्त सीता चौधरी के कार्यकाल के दौरान हुआ है. उनके कार्यकाल के दौरान करीब साढ़े पंद्रह हजार होल्डिंग का असेसमेंट हुआ था. इसमें खूब गोलमाल का खेल चला.
बताया जाता है कि निगम के अधिकारी भी इस गोलमाल में शामिल थे. हालांकि, नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा की सख्ती के बाद इसका धीरे-धीरे खुलासा होने लगा है. सबसे अधिक गड़बड़ी वार्ड 36, 20, 21, 22, 23, 11, 13, 30 आदि वार्डो में हुई है.
नगर आयुक्त ने इसकी जांच के लिए दो अलग-अलग टीमों का गठन किया है. इसमें टैक्स दारोगा के साथ निगम के चुनिंदा कर्मचारी व टैक्स सेक्शन से जुड़े कर्मचारियों को शामिल किया गया है.
जांच से खुलेंगे कई राज
राज्य सरकार के निर्देश पर सेल्फ असेसमेंट का कार्य नवंबर 2013 से शुरू हुआ था. तत्कालीन नगर आयुक्त सीता चौधरी के कार्यकाल के दौरान होल्डिंग के असेसमेंट की पारदर्शी तरीके से जांच हो, तो 80 प्रतिशत असेसमेंट में गड़बड़ियां मिलेंगी. वहीं निगम को करोड़ों रुपये का आमदनी भी बढ़ जायेगी, लेकिन कई बड़े लोगों की गरदन फंसने व इससे उत्पन्न होने वाले विवाद को देखते हुए नगर आयुक्त भी नरमी दिखा रहे हैं.
उठ रहे सवाल
अब सवाल है कि महापौर क्यों नहीं स्टैंडिंग व बोर्ड में इस प्रस्ताव को लाकर इसकी नये सिरे से जांच का आदेश दे रही हैं? क्या सेल्फ असेसमेंट पर रोक लगाना नगर आयुक्त की ओर से भीतर-भीतर बरती जा रही सख्ती का असर तो नहीं है? क्योंकि यदि इसकी जांच हुई, तो इसमें पूर्व के अधिकारी व कर्मचारियों की गरदन फंसने के साथ कई सफेदपोश भी बेनकाब हो जायेंगे.