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अब सताने लगी खाने-पीने की चिंता

मुजफ्फरपुर: गंगोत्री व उत्तरकाशी के बीच फंसे शहर के 22 लोगों के पास अब रुपये भी खत्म होने को है. उनलोगों की चिंता इस बात की है कि रुपये खत्म हो गये तो खाने पीने पर भी आफत आ जायेगी. चार दिनों से गंगलाटी में फंसने के बाद वे अब भटवारी कसबे में हैं. यहां […]

मुजफ्फरपुर: गंगोत्री व उत्तरकाशी के बीच फंसे शहर के 22 लोगों के पास अब रुपये भी खत्म होने को है. उनलोगों की चिंता इस बात की है कि रुपये खत्म हो गये तो खाने पीने पर भी आफत आ जायेगी. चार दिनों से गंगलाटी में फंसने के बाद वे अब भटवारी कसबे में हैं. यहां से निकलने का उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है. जबकि यात्रियों के हजारों रुपये जान बचाने में ही खर्च हो गये हैं.

भटवारी कसबे में इन लोगों को खाने पीने के सामान काफी महंगे उपलब्ध हो रहे हैं. जान बचाने के लिए ये लोग अपनी जमा पूंजी खर्च कर चुके हैं. यहां अपने परिवार के साथ फंसे अजय हिसारिया के भाई विकास हिसारिया कहते हैं कि आज सुबह भैया से बात हुई है. वे लोग काफी मुश्किल में है. प्रशासन व सरकार की ओर से अब तक उनलोगों को वहां से निकलने का कोई प्रबंध नहीं किया गया है. सेना के जवान केदारनाथ गये तीर्थयात्रियों को बचाने में लगे हैं. हमलोग यहां से प्रयास कर रहे हैं लेकिन कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है. हालांकि रमना निवासी राधेश्याम राठी व उनकी पत्नी से उनके बेटे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.

धीरज राठी बताते हैं कि पिताजी से बात नहीं हो रही है. दिन भर में कितनी बार फोन किया लेकिन मोबाइल नहीं लग रहा है. हालांकि साथ गये यात्रियों के परिजनों से बातचीत से राहत मिली है कि वे सभी ठीक हैं. यहां फंसे सिकंदरपुर निवासी मंटू सुरेका के भाई राजेंद्र सुरेका कहते हैं कि बात नहीं हो पा रही है. उनलोगों को मोबाइल चार्ज करने में दिक्कत है. उनके वापस आने का एकमात्र सहारा हेलीकॉप्टर है. लेकिन अभी तक उनलोगों के निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला है. हमलोग यहां से हेलीकॉप्टर का प्रबंध भी नहीं करा सकते. सरकार का सारा ध्यान केदारनाथ के रास्ते फंसे लोगों पर है. जबकि गंगोत्री व उत्तरकाशी के रास्ते 500 से अधिक लोग फंसे हैं. इन लोगों को निकालने का भी प्रबंध होना चाहिए.

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