मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के पूर्व कुलपति डॉ विमल कुमार व पूर्व कुलसचिव डॉ एपी मिश्र पर निगरानी का शिकंजा कस गया है. बुधवार को निगरानी एपी सह मामले के जांचकर्ता परवेज अख्तर ने विशेष निगरानी न्यायाधीश की अदालत में अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी. इसमें दोनों अधिकारियों पर लगे आरोप को सत्य बताया है.
इसके साथ डॉ विमल कुमार व डॉ एपी मिश्र पर निगरानी थाने में मामला दर्ज होने की संभावना बढ़ गया है. दोनों के खिलाफ किताबों की खरीद, संबद्ध डिग्री कॉलेजों को मान्यता, पीआरटी की कॉपी जांच में धांधली, कानूनी व विज्ञापन के खर्च को लेकर निगरानी में मामला दर्ज कराया गया था.
16 फरवरी 2012 को अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने विशेष निगरानी न्यायालय में परिवाद पत्र संख्या 13/12 दर्ज कराया था. इसमें तत्कालीन कुलपति डॉ विमल कुमार व कुलसचिव डॉ एपी मिश्र को आरोपित बनाया था. दोनों पर वर्ष 2011 से उक्त तिथि तक विवि में सेंट्रल लाइब्रेरी के लिए किताबों की खरीद में लाखों की अनियमितता व विभाग के लाखों रुपये का दुरुपयोग कर मोटी रकम कमाने का आरोप लगाया गया था. यही नहीं नियमों को ताक पर रख कर कागज पर कई कॉलेजों को डिग्री कॉलेजों को मान्यता दी गयी, जिस जमीन पर इंटर कॉलेज खोला गया था, उसी पर डिग्री कॉलेजों को मान्यता देने की बात कही गयी थी.
सियावती लालमुनी डिग्री कॉलेज हाजीपुर, राय वीरेंद्र सिंह कॉलेज कुतुबपुर कोठी, राजदेव राय लालमुनी चौरसिया, राजकिशोर कॉलेज, उज्जवल कुमार मिश्र फाउंडेशन कॉलेज, ठाकुरदेवी रामचंद्र राय कॉलेज, रामदेव राय डिग्री कॉलेज, रामबालक राय कॉलेज, एलपी शाही कॉलेज को मापदंड के विरुद्ध जाकर करोड़ों की रिश्वत लेकर मान्यता देने का आरोप लगाया गया था. इसके अलावा पीआरटी के रिजल्ट में रिश्वत लेकर धांधली करने का आरोप लगाया गया था. इन आरोपों के बाद सरकार की ओर से वित्तीय रोक के बावजूद केस लड़ने के लिए आरोपितों ने 12 लाख रुपये विधि विभाग के नाम पर खर्च की गयी. यही नहीं अनुपम उपहार को विज्ञापन के नाम पर 2.5 लाख रुपये का भुगतान किया गया.
टीम ने की थी जांच
न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान 17 फरवरी 2012 को निगरानी एसपी पटना को जांच का आदेश दिया था. इस संबंध में उन्हें दो बार स्मार पत्र व एक बार स्पष्टीकरण भी पूछा गया. वहीं, छह जून को न्यायालय ने प्रगति प्रतिवेदन की मांग निगरानी एसपी पटना से की. इसके बाद मामले की जांच की जिम्मेवारी निगरानी एसपी परवेज अख्तर को दी गयी. उनकी सहायता के लिए इंस्पेक्टर एसके तिवारी व इंस्पेक्टर सुशील कुमार को लगाया गया. तीनों अधिकारियों ने इस संबंध में विवि आकर जांच भी की थी. इसके बाद बुधवार को निगरानी एसपी परवेज अख्तर ने न्यायालय में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी.