मुजफ्फरपुर: शहर में नाव की सवारी, वह भी रियायशी इलाके में. चौंकिए नहीं, हम अपने शहर मुजफ्फरपुर की ही बात कर रहे हैं. सिकंदरपुर-लक्ष्मी चौक जाने वाली सड़क (मरीन ड्राइव) होकर अगर आप आना जाना चाहते हैं तो नाव की सवारी करनी पड़ेगी. महज 100 मीटर दूरी तय करने के लिए आपको पांच रुपये देने होंगे.
साथ में साइकिल है तो 10 व मोटर साइकिल से नाला पार करना है तो 50 रुपये तक देने पड़ सकते हैं. हालांकि अगर आप मोल-जोल में माहिर हैं तो तय राशि में नाविक कुछ रियायत दे सकते हैं.
हद तो यह है कि नाव चलाने वालों ने धंधा चालू रखने के लिए सड़क को भी खोद दिया है. ताकि सिकंदरपुर मन से आने वाले पानी का बहाव बना रहे और उनका धंधा मंदा नहीं पड़े. गौर करने की बात है कि यह दुर्गति उस सड़क की है, जिसकी सुंदरता को देखते हुए कभी पूर्व जिलाधिकारी ने इसे मरीन ड्राइव का नाम दिया था. मगर महज तीन डिसमिल जमीन का अधिग्रहण नहीं होने के कारण यह ड्रीम प्रोजेक्ट दो साल के बाद भी पूरा नहीं हुआ. भूमि अधिग्रहण का मामला हाई कोर्ट में जाने के कारण करीब सौ मीटर में सड़क का निर्माण अटका हुआ है. सड़क के शेष हिस्सा का निर्माण पूरा हो चुका है. बारिश से पहले तक लोग साइकिल व मोटर साइकिल से इस रास्ते आया-जाया करते थे. पिछले वर्ष बारिश में भी कुछ दिन के लिए पानी लग गया था. लेकिन नाव चलने की नौबत नहीं आयी थी.
बन गयी होती सड़क तो नहीं लगता जाम : करीब छह करोड़ की लागत वाली सड़क अगर तय समय सीमा के अंदर बन गयी होती तो शहर की ट्रैफिक की स्थिति ही अलग होती. लोगों को बेवजह जाम की समस्या से जूझना नहीं पड़ता. शहर के दो पाट को जोड़ने वाली इस सड़क के निर्माण से ब्रम्हपुरा, लक्ष्मी चौक, जूरन छपरा, कंपनी बाग, सरैया गंज का ट्रैफिक लोड काफी हद तक कम हो जाता. बैरिया बस स्टैंड की ओर से आने वाले लोगों की दूरी भी कम हो जाती. साथ ही शहर को रिंग रोड मिल जाता.