मुजफ्फरपुर: मोतीझील ओवरब्रिज के नीचे से अतिक्रमण हटाने में एक बार फिर प्रशासन ने अपना पैर पीछे खींच लिया है. इस बार बहाना पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर होने का है. हालांकि, हाइकोर्ट ने कहीं भी अतिक्रमण हटाने पर रोक नहीं लगायी है.
इससे एक बार फिर मोतीझील में वाहनों की पार्किग को लेकर समस्या का समाधान नहीं हो सका. एसडीओ पूर्वी के निर्देश पर मंगलवार को मुशहरी सीआइ रंभू ठाकुर बतौर मजिस्ट्रेट पुलिस बल के साथ अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंचे. 11 अगस्त को ही व्यवसायियों ने एसडीओ पूर्वी के अलावा डीएम, प्रमंडलीय आयुक्त व नगर आयुक्त के नाम से एक आवेदन लिख डाक के माध्यम से भेज दिया था. पत्र का हवाला देते हुए फुटपाथी दुकानदार संघ ने मजिस्ट्रेट को पटना हाइकोर्ट में दायर याचिका संख्या 55068/2014 के बारे में बताया. इसके बाद मजिस्ट्रेट पुलिस बल के साथ बैरंग वापस लौट गये.
प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल
बिना अतिक्रमण हटाये बैरंग वापस लौटने पर मजिस्ट्रेट की कार्यशैली व प्रशासन पर एक बार फिर सवाल उठ गया है. हालांकि, एसडीओ पूर्वी सुनील कुमार का कहना है कि उन्हें इसके बारे में कुछ भी मालूम नहीं है. उन्होंने अतिक्रमण हटाने के लिए मजिस्ट्रेट की तैनाती की थी. अब मजिस्ट्रेट किस परिस्थिति में वहां से वापस लौटे, इसकी जानकारी लेंगे. कोर्ट में याचिका दायर होने पर अतिक्रमण नहीं हटाना गलत है. वे नगर आयुक्त से बात कर जल्द ही इस मसले पर ठोस फैसला लेंगे.
ओवरब्रिज पर लगा अवैध पार्किग का बोर्ड : नगर-निगम की ओर से ओवरब्रिज के नीचे वाहन पार्किग राशि की वसूली के लिए टेंडर प्राप्त कर चुके ठेकेदार की ओर से वसूली प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. मंगलवार को ओवरब्रिज पर नगर-निगम प्रशासन की ओर से नो पार्किग जोन का बोर्ड लगा दिया गया. वहीं ओवरब्रिज के नीचे रस्सी व बैनर पोस्टर से घेर ठेकेदार ने वाहन पार्किग स्थल बना दिया है, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटने से वाहन खड़ा करने में काफी परेशानी हो रही है. मंगलवार को अतिक्रमण हटाये जाने की सूचना पर दुकानदार भी चौकस थे. हालांकि, शाम होते ही दोबारा फुटपाथी दुकानदारों ने अपनी दुकानें सड़क किनारे लगा दीं.