मुजफ्फरपुर: शिशुओं को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए लोगों को अपनी जेब से रुपये नहीं खर्च करने होंगे. अब गंभीर बीमारियों से शिशुओं की जीवन रक्षा का खर्च केंद्र सरकार उठायेगी. कई बीमारियों से बचाव के लिए सरकार नये तरह के वैक्सीन देने की शुरुआत करने जा रही है. पैंटावैलेंट नामक यह वैक्सीन बच्चों को पांच तरह के बीमारियों से बचायेगी. जिसमें डीपीटी (डीप्थीरिया, टेटनस व परटूसिस),हेपटाइटिस बी व हेमोफिलियस फ्लू शामिल है. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय टीकाकरण योजना में इसे शामिल कर लिया है.
सरकारी स्तर पर जल्द ही शिशुओं के लिए यह वैक्सीन उपलब्ध होगा. सदर अस्पताल, एसकेएमसीएच, पीएचसी व आंगनबाड़ी केंद्रों में वैक्सीन देने की व्यवस्था होगी. जिला स्तर पर इसके लिए सर्वे किया जा रहा है. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ दिनेश्वर सिंह की माने तो राज्य स्वास्थ्य समिति वैक्सीन मिलने के बाद जिला स्तर पर आपूर्ति करेगा. जिले में अक्टूबर से इस योजना की शुरुआत की संभावना है.
डीपीटी, फ्लू व एचबी का एकल वैक्सीन पेंटावैलेंट
पेंटावैलेंट के एक वैक्सीन से शिशुओं को कई बीमारियों से रक्षा होगी. इससे पूर्व सरकारी स्तर पर केवल डीपीटी के वैक्सीन की व्यवस्था थी. इससे केवल डीप्थीरिया, टेटनस व परटूसिस बीमारियों से सुरक्षा होती थी. हेपटाटिस बी व हेमेफेलियस वैक्सीन सरकारी टीकाकरण में शामिल नहीं था. पेंटावैंलेंट में डीपीटी के अलावा फ्लू व एचबी का वैक्सीन शामिल हैं. यह वैक्सीन शिशुओं को चार बार दिया जायेगा. पहला वैक्सीन डेढ़ महीने के शिशुओं को, दूसरा ढ़ाई महीने व तीसरा साढ़े तीन महीने के शिशुओं को दिया जायेगा. चौथा डोज डेढ़ वर्ष के बच्चों को पड़ेगा.
अभिभावकों को होगी सोलह सौ की बचत : सरकारी स्तर पर इन बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीन दिये जाने से अभिभावकों को करीब एक हजार छह सौ की बचत होगी. बाजार पेंटावैलेंट वैक्सीन की कीमत 400 रुपये है. शिशुओं को वैक्सीन का चार डोज दिलाने के लिए लोगों को जेब से रुपये खर्च करने पड़ते थे. निमA वर्ग के लोग बच्चों को यह वैक्सीन नहीं दिला पाते थे. उन बच्चों पर निमोनिया, सिप्टेसेमिया व मेंजेंटाइटिस का खतरा हमेशा बना रहता था. सरकारी स्तर पर यह सुविधा मिलने से ऐसे लोगों को सहूलियत होगी. शिशुओं का मृत्यु दर काफी कम किया जा सकेगा.
सात वर्षो से दी जा रही पेंटावैलेंट वैक्सीन
क्लीनिक व नर्सिग होम में बच्चों का टीकाकरण करने वाले डॉक्टर पिछले सात वर्षो से पेंटावैलेंट वैक्सीन को प्राथमिकता दे रहे है. इसका कारण इसका बेहतर रिजल्ट होना है. वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अरुण शाह कहते हैं कि वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. इससे बच्चों की 100 फीसदी सुरक्षा होती है. अमेरिका व यूरोप में यह वैक्सीन अनिवार्य है. सूबे में सरकारी स्तर पर वैक्सीन दिया जाना एक अच्छा कदम है. शिशुओं की मृत्यु का प्रमुख कारण निमोनिया है. हर साल देश में पांच लाख से अधिक बच्चे निमोनिया से मरते हैं. निमोनिया निमोकोकल व हेमोफिलियस बैक्टीरिया से होता है. हेमोफिलियस के वैक्सीन पड़ने से सूबे के हजारों बच्चों की जान बचायी जा सकती है.
केरल व दिल्ली में हो चुकी है शुरुआत : राष्ट्रीय टीकाकरण योजना के तहत केरल व दिल्ली में सरकारी स्तर पर यह वैक्सीन देने की शुरुआत हो चुकी है. बिहार व यूपी में बच्चों की मृत्यु दर अधिक होने के कारण यहां भी इसे शुरू किया जा रहा है. केंद्र सरकार को अंतर्राष्टीय संस्था पाथ यह वैक्सीन उपलब्ध करा रही है. यहां से वैक्सीन की विभिन्न राज्यों में आपूर्ति की जायेगी. साथ ही शिशुओं को वैक्सीन दिये जाने की मॉनटरिंग भी होगी. स्वास्थ्य विभाग को टीकाकरण अभियान को सही तौर पर चलाने का निर्देश दिया गया है.