मुजफ्फरपुर : घर में कमर तक पानी भर चुका है. चौकी डूब चुकी है. चूल्हा रख कर खाना बनाने की जगह नहीं. अब चिंता इस बात की है कि आठ लोगों का परिवार लेकर कहां जाएं. घर के सामान को कहां रखें. अलग से चौकी व तिरपाल भी नहीं कि बांध पर रख कर घर बना लें. मरीना खातून इसी चिंता में बांध पर बैठी हुई थी.
डर इस बात का है कि पति मो मोती के काम से लौटते समय तक कहीं पानी बढ़ न जाए, लेकिन बांध के नीचे रह रही मरीना के पास इंतजार के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है. उसने पिछली रात घर से सूखे कपड़ों को एकत्र किया था, लेकिन बारिश में वह भी भीग गया. मरीना की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. उसने बताया कि कल रात तक पानी कुछ कम था, लेकिन सुबह से बढ़ना शुरू हो गया है. ऐसी ही स्थिति रही शनिवार की रात उसका घर आधा से अधिक डूब जाएगा. मरीना कहती है कि पिछले एक सप्ताह से वे लोग परेशानी में है. घर में पानी भरने से चारों तरफ गंदगी फैल गयी है. ऐसे ही हाल में वह खाना बनाती हैं.
घुटनों तक पानी में तो वे लोग किसी तरह रह लेते थे, लेकिन इतने अधिक पानी में अब रहना मुश्किल है. मरीना कहती हैं कि हमलाेग एक सप्ताह से गंदा पानी ही पी रहे हैं. सोड़ा गोदाम चौक से आगे जाकर एक नल है, वह भी आधा डूबा हुआ है. वहीं से पानी लाते हैं. यहां शौचालय भी नहीं है. इसके लिए आधा किमी दूर जाना पड़ता है. बारिश हो जाए तो वह भी संभव नहीं होता. यहां बांध पर भी सब लोग घेर कर रहने लगे हैं, लेकिन उसके पास तो तिरपाल व प्लास्टिक भी नहीं है.
रूबी की आंखों में बांध का खौफ साफ दिखता है. भरे मन से वह कहती है कि चौकी व प्लास्टिक नहीं होने के कारण रहने लायक इंतजाम नहीं हो पाया. एक चौकी पर तो सामान ही रखा है. बच्चों के सोने के लिए भी जगह नही है. अगर तेज बारिश हुई तो रात भर भीगना पड़ेगा. बारिश के कारण कारण चूल्हा नहीं जला पाये. बच्चे भूखे हैं. भगवान थोड़ा रहम कर खाना बनाते समय पानी नहीं बरसाये. रूबी कहती है कि बाढ़ का पानी फैलने के कारण चारों तरफ गंदगी व दुर्गंध है. इधर मच्छरों का प्रकोप भी बहुत बढ़ गया है. यहां सांप व कीड़े मकोड़े का खतरा भी बना हुआ है. बस ईश्वर से यही प्रार्थना है कि हमलोगों को जल्द इस विपत्ति से निकाले.