विनय, मुजफ्फरपुर : जिले में कालाजार उन्मूलन के लिए दवाएं नहीं हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसवर्ष के अंत तक बीमारी उन्मूलन की बात कह रहा है. विभाग की ओर से रोगियों की खोज व इलाज के लिए जो माइक्रोप्लान बनाया जा रहा है, उससे लगता है कि विभाग बीमारी पर काबू पा लेगा, लेकिन हकीकत कुछ और बयां कर रही है. जिले में पिछले एक साल से कालाजार के वाहक बालू मक्खी के उन्मूलन के लिए घर-घर जाकर सिंथेटिक पाराफ्राइड दवा का छिड़काव नहीं किया गया.
केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की अोर से दवाओं की आपूर्ति नहीं होने के कारण जिले में छिड़काव अभियान बंद है. नियम के तहत वर्ष में दो बार घर-घर जाकर दवाओं का छिड़काव करना है, लेकिन छिड़काव नहीं होने से बालू मक्खी का प्रसार बढ़ रहा है. इससे मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. पिछले साल जिले में स्किन कालाजार के मरीजों की संख्या 28 थी, जो अब बढ़ कर 42 हो गयी है.
शरीर पर दाग होना बीमारी की पहचान : स्किन के कालाजार का मुख्य लक्षण शरीर पर दाग होना है. विशेषज्ञों का कहना है कि पहले यह सामान्य दाग की तरह उभरता है, जिसे पॉपुलर फॉर्म कहते हैं. बाद में यह दाग फैलता जाता है, जिसे नॉडयूलर फॉर्म कहा जाता है. अधिकतर मरीजों में इसकी शुरुआत चेहरे से होती है. अमूमन एेसे दाग पर लाेग ध्यान नहीं देते.
धीरे-धीरे यह दाग पूरे शरीर में फैलने लगता है. कुछ दिनों बाद मरीजों के भूख में कमी व कमजोरी महसूस होने लगती है. अधिकांश लोग यह नहीं समझ पाते कि वे कालाजार के मरीज हैं. यह अधिकतर ऐसे लोगों में होता है जो कालाजार होने पर उसका इलाज अधूरा छोड़ देते हैं या जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.
बालू मक्खी के काटने के बाद उसका प्रोटोजोआ मरीज के स्किन में घुस जाता है.
स्किन कालाजार के मरीज बढ़े हैं. फिलहाल उन्हें खोज कर इलाज कराया जा रहा है. कालाजार के वाहक बालू मक्खी को समाप्त करने के लिए दवा का छिड़काव अभी नहीं हो रहा है. मुख्यालय से दवाओं की आपूर्ति नहीं की गयी है. जबतक दवा नहीं आती, छिड़काव बाधित रहेगा.
डॉ सतीश कुमार, जिला मलेरिया पदाधिकारी